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आप्रवास विधेयक को संसद की मंजूरी, देश में आने वालों पर कड़ी नजर रखी जायेगी: राय

Glimpses of the new Parliament Building, in New Delhi

नयी दिल्ली : राज्यसभा ने देश में प्रवेश, निवास और यात्रा से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल तथा पारदर्शी बनाने और विदेशियों तथा आप्रवासन से संबंधित सभी मामलों को विनियमित करने वाले आप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक 2025 को विपक्ष के संशोधनों को खारिज करते हुए बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।इसके साथ ही इस विधेयक पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले की पारित कर चुकी है।विपक्षी सदस्यों ने केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिगर्मन किया।

श्री राय ने विधेयक पर चार घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पुराने कानून के कमजाेर और बिखरे हुए होने के कारण संबंधित कानूनों को समाहित करके नया कानून बनाना जरूरी हो गया था। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश की आंतरिक सुरक्षा तथा अर्थतंत्र को मजबूती देगा और वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने के लिए मजबूत नींव रखने के लिए लाया गया है।विपक्ष के देश में भय का माहौल बनाने के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश में भय का माहौल बनाने के लिए नहीं बल्कि देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त विदेशियों को देश से बाहर निकालने तथा उनके देश में प्रवेश पर रोक लगाने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में आने वाले हर व्यक्ति की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जायेगी।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक को तीन वर्ष के गहन विचार विमर्श के बाद देश की आवश्यकता के अनुरूप लाया गया है और इसमें देश में आने वाले के लिए वैध दस्तावेजों की अनिवार्यता की गयी है। उन्होंने कहा कि देश में अनुसंधान और विकास को बढावा देने के लिए आने वाले लोगों का स्वागत है लेकिन देश विरोधी गतिविधि चलाने वालों को देश में नहीं रूकने दिया जायेगा । उन्होंंने कहा कि इसीलिए देश में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की सूचना और निगरानी को अनिवार्य बनाया गया है।श्री राय ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में तत्कालीन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के शासन में घुसपैठ को बढावा मिला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार सीमा में अभेद्य बाड लगाने के लिए जमीन नहीं दे रही है। जमीन मिलते ही सरकार वहां बाड़ लगाने का काम शुरू कर देगी।

उन्होंने कहा कि घुसपैठियों को वहीं सफलता मिल रही है जहां भाजपा की सरकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता बीएसएफ के कार्य में बाधा पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की नीतियों से घुसपैठ में कमी आयी है और राज्य सरकार को इसमें और सहयोग करना चाहिए।विपक्ष के ज्यादातर दलों ने उनकी इस बात का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया।उन्होंने कहा कि आप्रवास ब्यूरो देश में पहले से ही कार्य कर रहा है और इस तरह के ब्यूरो कई अन्य देशों में भी हैं। इससे अप्रवासियों की सुविधा बढेगी ।श्री राय ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों में देश के करोड 72 लाख एनआरआई की सुविधाओं को भी ध्यान में रखा गया है।उन्होंने कहा कि भारत सरकार किसी को डराना नहीं चाहती है लेकिन देश विरोधी गतिविधियां चलाने वालों को तो डरना ही पडेगा। उन्होंने सदस्यों के इस आरोप का खंडन किया कि सीएए कानून अधिसूचित नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि सीएए कानून की अधिसूचना पिछले वर्ष ही कर दी गयी थी। उन्होंने कहा कि इस कानून के आधार पर 36 हजार घुसपैठियों को बाहर किया गया है। विधेयक में अपील का कानून नहीं होने पर उन्होंने कहा कि यह किसी देश में नहीं है।इस विधेयक से देश की छवि बिगडने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि देश की छवि उस समय बिगडती है जब देश में आंतरिक सुरक्षा कमजोर होती है।विधेयक में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) एक्ट, 1920, विदेशियों का पंजीकरण एक्ट, 1939, विदेशी विषयक एक्ट, 1946 और आप्रवास (वाहक दायित्व) एक्ट, 2000 को निरस्त कर इसकी जगह पर एक समावेशी कानून बनाया गया है। (वार्ता)

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