वाराणसी। विकलांगों को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बुधवार को विशेष न्यायाधीश द्वितीय (भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम) रजत वर्मा की अदालत ने सिगरा थाना क्षेत्र के चंदुआ छित्तुपुरा निवासी नमो उपाध्याय को दोषी करार दिया और दस साल सजा के साथ ही 36 हजार जुर्माना लगाया। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी पवन कुमार जायसवाल ने पक्ष रखा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 31 जुलाई 2007 को सुबह दस बजे अतिक्रमण से हटाई गई गुमटियों को प्रतिस्थापित कराने को लेकर लक्सा थाना क्षेत्र में एकत्रित विकलांग धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। आरोप था कि नमो उपाध्याय ने प्रशासन पर दबाव बनाने की नियत से विकलांगों को आत्महत्या करने के उकसाया था और उन्हें खाने के लिए नशीला पदार्थ दिया।
जिससे पांच विकलांगों गुरुदीप,रामचंद्र,मंगरु प्रसाद,त्रिभुवन एवं राजेश मौर्य की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में नमो उपाध्याय और सतीश के खिलाफ मुकदमा दर्ज की। बाद में विवेचना के दौरान नाम प्रकाश में आने पर भरत लाल चौरसिया,नसीम,मो.मोहसिन और रविनाथ बनर्जी के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दायर कर दी। इन चारों के खिलाफ आरोप साबित न होने पर अदालत सबों को दोषमुक्त कर दिया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियुक्त सतीश ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया था।