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जनजातीय संग्रहकर्ताओं एवं कारीगरों की आजीविका और सुरक्षा के लिए तात्कालिक उपाय किए

टीआरआईएफईडी देश भर में जनजातीय कारीगरों से 23 करोड़ रुपये मूल्य के जनजातीय उत्पादों के वर्तमान भंडार की खरीद करेगी

नई दिल्ली । जनजातीय कारीगरों के सामने आने वाली अभूतपूर्व कठिनाइयों के आलोक में, सरकार जनजातीय संग्रहकर्ताओं और जनजातीय कारीगरों को सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल कई पहल कर रही है। जनजातीय मामले मंत्रालय ने पहले ही ‘जनजातीय उत्पादों के विकास एवं विपणन के लिए संस्थागत सहायता’ स्कीम के तहत गौण वन ऊपज के मदों की एमएसपी में बढोतरी कर दी है। इस स्कीम के तहत जनजातीय मामले मंत्रालय की टीआरआईएफईडी लगभग 10 लाख जनजातीय कारीगरों के परिवारों से जुड़ी है। चूंकि पिछले 30 दिनों से, राष्ट्रव्यापी लाकडाउन के कारण जनजातीय कारीगरों की सारी वाणिज्यिक गतिविधियां रुक गई हैं, कारीगरों के समक्ष अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है क्योंकि उनकी आजीविकाओं पर प्रभाव पड़ा है। उनके पास वर्तमान में बड़े भंडार इकट्ठे हो गए हैं जबकि बिक्री नाम मात्र की या बिल्कुल भी नहीं हो रही है। कारीगरों के पास उपलब्ध मदें कई वर्गों की हैं-वस्त्र, उपहार एवं सजावट, वन धन, प्राकृतिक वस्तुएं, धातु, आभूषण, जनजातीय चित्रकारी, पौट्री, केन एवं बांस आदि।

उपरोक्त को देखते हुए, जनजातीय समुदाय को तत्कान सहायता उपलग्ध कराने के लिए निम्नलिखित कदम उठाये गए हैं:

क) बिना बिके भंडार की खरीद:

अधिकांश जनजातीय कारीगर अपनी आजीविका के लिए अपने जनजातीय उत्पादों की बिक्री पर निर्भर हैं और इसलिए उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता है। जनजातीय परिवारों को राहत सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय मामले मंत्रालय ने वर्तमान लाकडाउन से सर्वाधिक प्रभावित जनजातीय कारीगरों से वर्तमान में उपलब्ध भंडार की खरीद को मंजूरी दी है। इसी के अनुरूप, टीआरआईएफईडी ने देश भर में जनजातीय कारीगरों से लगभग 23 करोड़ रुपये के मूल्य के बराबर के जनजातीय उत्पादों की खरीद की योजना बनाई है।

इसके अतिरिक्त, टीआरआईएफईडी उद्योग संघों, प्रमुख कंपनियों एवं व्यावसायिक संगठनों के पास जनजातीय कारीगरों के भंडार की खरीद के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस वेबिनारों के माध्यम से प्रोत्साहित करते हुए पहुंचने की कोशिश कर रही है जिसका उपयोग इनके लिए किया जा सकता है:

  • एकमुश्त खरीद एवं बिक्री
  • उपहार देने की आवश्यकताएं
  • फोल्डरों, स्टेशनरी, आदि जैसे कांफ्रेस/सेमीनार की मदें
  • पेंटिंग, डोकरा आदि जैसी अलंकरण मदेों सहित कार्यालयों के लिए आपूर्तियां
  • फ्रैंचाइजी माडल की खोज की जा सकती है
  • अनिवार्य वस्तुओं (वन धन नैचुरल्स) जैसे कि शहद, साबुन, मसाले, चावल, कदन्न, चाय और काफी की किस्मों आदि की थोक आपूर्तियों की खरीद की जा सकती है और नियमित आपूर्तियों के लिए करार किया जा सकता है।
  • वर्तमान स्थिति में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए कुछ जनजातीय कारीगरों द्वारा मास्क एवं हैंड सैनिटाइजरों का निर्माण किया जा रहा है।

ख) ट्राइब्स इंडिया कारीगरों को मासिक राशन का प्रावधान

जनजातीय कारीगरों को कुछ राहत उपलब्ध कराने के लिए टीआरआईएफईडी ने जनजातीय परिवार घटक के साथ खड़े होने सहित उनके #iStandWithHumanity अभियान के साथ जुड़ने के लिए आर्ट आफ लिविंग फाउंडेशन के साथ भी करार किया है। इसमें भारत भर में जनजातीय परिवारों को 1000 रुपये के मूल्य के राशन किटों की खरीद एवं वितरण (सोशल डिस्टैंसिंग दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए) शामिल है। प्रत्येक राशन किट में 5 किग्रा गेहूं का आटा, 2 किग्रा दाल, 3 किग्रा चावल, 500 एमएल तेल, 100 ग्राम हल्दी का पावडर, 100 ग्राम लाल मिर्च का पावडर, 100 ग्राम जीरा, 100 ग्राम राई के बीज, 100 ग्राम करी मसाला, 2 साबुन जैसी मदें शामिल हैं।

ग) छोटे कारीगरों को कार्यशील पूंजी का प्रावधान

टीआरआईएफईडी परिक्रामी निधियों के रूप में जनजातीय कारीगरों को नरम ऋण के लिए अनुकूल वित्तपोषण शर्त उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय संस्थानों के साथ चर्चा कर रही है जिसका लाभ उनके भंडार को गिरवी रखने के द्वारा उठाया जा सकता है। जनजातीय कारीगरों के लिए ऐसी कार्यशील पूंजी एवं तरलता का प्रावधान उन्हें इस अभूतपूर्व कठिनाई से उबरने में सक्षम बनायेगा।

घ) जनजातीय क्षेत्रों में मास्कोंसाबुनोंदस्तानों एवं पीपीई का प्रावधान

कोविड-19 के कारण वर्तमान स्थिति ने देश के सबसे निर्बल लोगों, जनजातीय कारीगरों एवं संग्रहकर्ताओं सहित निर्धनों एवं सीमांत समुदायों की आजीविकाओं को गहरी चोट पहुंचाई है। कई क्षेत्रों में यह वन उत्पादों की खेती एवं संग्रह का पीक सीजन है जो जनजातीय कारीगरों को उनका व्यवसाय करने को प्रेरित करेगा जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। जनजातीय कारीगरों एवं संग्रहकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टीआरआईएफईडी का इरादा जनजातीय लाभार्थियों को क्रमशः एक मिलियन फेस मास्क, साबुन एवं दस्ताने एवं 20,000 पीपीई किट उपलब्ध कराने का है।

वेबिनार और कोविड 19 परामर्शी

टीआरआईएफईडी ने यूनिसे़फ के सहयोग से सोशल डिस्टैंसिंग उपायों का अनुपालन करने और प्रचालनों को जारी रखने के लिए आवश्यक स्वच्छता बनाये रखने के लिए जनजातीय संग्रहकर्ताओं के बीच जागरूकता फैलाने हेतु सभी राज्य नोडल एवं कार्यान्वयन एजेन्सियों, प्रतिपालक संगठनों, वन धन केंद्रों तथा अन्य हितधारकों के साथ 09 अप्रैल 2020 को एक राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार का संचालन किया है।

इसके अतिरिक्त, टीआरआईएफईडी ने सभी राज्य नोडल एवं कार्यान्वयन एजेन्सियों के समन्वय से एकल रूप में यूनिसेफ की क्षेत्रीय इकाइयों के साथ एवं जिला एजेन्सियों, वन धन केंद्रों, प्रतिपालक संगठनों की भागीदारी के साथ 14 अप्रैल से 17 अप्रैल 2020 तक राज्य स्तरीय वेबिनारों का आयोजन किया। सूचना सामग्री यूनिसेफ द्वारा फ्लायर्स, डिजिटल पाकेट बुक, आडियो संदेश, प्रस्तुतियों आदि के रूप में क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराई गई।

टीआरआईएफईडी ने एमएफपी खरीद एवं प्रचालन कार्य के दौरान सावधानी बरतने एवं सुरक्षा उपायों के लिए राज्य एजेन्सियों, नोडल विभाग, कार्यान्वयन एजेन्सियों, वीडीवीके सदस्यों को कोविड 19 से संबंधित परामर्शियां जारी की।

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