प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने के उद्देश्य से सरकार की ओर से किये गये फैसलों का प्रभाव बढ़ाने में रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्णयों को मददगार बताया और कहा कि बीते वर्षों में बैंकिंग एवं वित्त क्षेत्र के समावेशन समेत अन्य सुधारों की ताकत को कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश ने देखा और उन्हें विश्वास है कि एक संवेदनशील और निवेशक हितैषी गंतव्य के रूप में भारत की नयी पहचान को आरबीआई निरंतर सशक्त करता रहेगा।
श्री मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रिजर्व बैंक की दो अभिनव सुविधाओं का उद्घाटन किया, जिनमें एक के जरिए अब आम आदमी भी केंद्रीय बैंक से सीधे सरकारी बॉन्ड खरीद कर अपना पैसा उसमें निवेश कर सकेगा। दूसरी सुविधा पूरे देश के लिए आरबीआई की एकीकृत लोकपाल योजना है। इसके तहत ग्राहक कहीं से एक ही स्थान पर डिजिटल माध्यम से बैंकिंग सेवाओं के बारे में अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र को और मज़बूत करने के लिए सहकारी बैंकों को भी आरबीआई के दायरे में लाया गया। इससे इन बैंकों की गवर्नेंस में भी सुधार आ रहा है और जो लाखों जमाकर्ता हैं, उनके भीतर भी इस प्रणाली के प्रति विश्वास मजबूत हो रहा है। बीते सालों में देश के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में समावेशन से लेकर प्रौद्योगिकीय एकीकरण और दूसरे सुधार किए हैं। उनकी ताकत हमने कोविड के इस मुश्किल समय में भी देखी है। सरकार जो बड़े-बड़े फैसले ले रही थी उसका प्रभाव बढ़ाने में आरबीआई के निर्णयों ने भी मदद की है।
श्री मोदी ने कहा, “छह-सात साल पहले तक देश में बैंकिंग, पेंशन, बीमा, ये सबकुछ एक एक्सक्लूसिव क्लब जैसा हुआ करता था। देश का सामान्य नागरिक, गरीब परिवार, किसान, छोटे व्यापारी-कारोबारी, महिलाएं, दलित-वंचित-पिछड़े, इन सबके लिए ये सब सुविधाएं बहुत दूर थीं। जिन लोगों पर इन सुविधाओं को गरीब तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी उन्होंने भी इस पर कभी ध्यान नहीं दिया बल्कि बदलाव न हो इसके लिए भांति-भांति के बहाने बनाए जाते थे। कहा जाता था कि बैंक शाखा नहीं है, कर्मचारी नहीं है, इंटरनेट नहीं है, जागरूकता नहीं है और न जाने क्या-क्या तर्क होते थे।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते सात सालों में गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की पारदर्शिता के साथ पहचान की गई। उनके समाधान और रिकवरी पर ध्यान दिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण किया गया। साथ ही वित्तीय प्रणाली और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक के बाद एक सुधार किए गए।श्री मोदी ने कहा, “हमें देश की और देश के नागरिकों की आवश्यकताओं को केंद्र में रखना ही होगा। निवेशकों के भरोसे को निरंतर मजबूत करते रहना होगा।
मुझे पूरा विश्वास है कि एक संवेदनशील और निवेशक हितैषी गंतव्य के रूप में भारत की नई पहचान को आरबीआई निरंतर सशक्त करता रहेगा। अमृत महोत्सव का ये कालखंड, 21वीं सदी का ये दशक देश के विकास के लिए बहुत अहम है। ऐसे में आरबीआई की भी भूमिका बहुत बड़ी है। मुझे पूरा विश्वास है कि टीम आरबीआई देश की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।”