विदेशों में बज रहा है संस्कृत का डंका, अमेरिका व इंग्लैंड समेत कई देशों के छात्र हो रहे शामिल
चार सालों में प्रदेश सरकार ने दिलाई संस्कृत को नई पहचान . संस्कृत व्याख्यान व कक्षाओं में बड़ी विदेशी छात्रों की संख्या . सीएम ने जारी की संस्कृत में विज्ञप्ति, कामकाज में संस्कृत को किया शामिल .
लखनऊ । प्रदेश सरकार ने चार सालों में देववाणी संस्कृत को पंख लगा दिए हैं। संस्कृत की परवाज देश से बाहर निकल कर विदेशों तक पहुंच गई है। इसके नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं। संस्कृत सप्ताह के दौरान संस्कृत पाठशाला का आयोजन हो या फिर किसी शिक्षाविद का व्याख्यान इसमें बड़ी संख्या में विदेशी छात्र और भारतीय मूल के विदेशी जुड़ रहे हैं। संस्कृत सीखने वालों में अमेरिका से लेकर इंग्लैंड, पेरिस, केनया, अटलांटा, न्यू जर्सी, जर्मनी समेत कई देशों के भारतीय नागरिक व विदेशी छात्र शामिल हो रहे हैं।
यूपी संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ वचस्पति मिश्र के अनुसार प्रदेश सरकार के प्रयासों ने संस्कृत को एक नई पहचान दिलाई है। संस्कृत का डंका सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में बज रहा है। विदेशी छात्रों में संस्कृत सीखने का काफी ललक है। उन्होंने बताया कि संस्कृत के दौरान विभिन्न देशों के छात्रों व भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों ने अपने संस्कृत में परिचय देते हुए विडियोज बनाकर संस्थान को भेजे है।
उन्होंने बताया कि संस्कृत को लेकर जो व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। उसमें बड़ी संख्या में विदेशी छात्र जुड़ते हैं। उन्होंने बताया कि पहले जो ऑनलाइन व्याख्यान होते थे, उसमे देश भर से लोग शामिल होते थे। विदेशी छात्रों की मांग पर कनाडा, न्यूयार्क, वर्जिनिया आदि के छात्रों के लिए जूम आईडी जारी की जा रही है। जिसकी सहायता से वह संस्कृत की ऑनलाइन कक्षाओं व व्याख्यान में शामिल हो रहे हैं। इन कक्षाओं में शामिल होने वालों में हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं।
डॉ. वाचस्पति मिश्र के अनुसार विदेशी छात्रों में संस्कृत सीखने की काफी चाह होती है। विदेशी छात्रों में सिर्फ संस्कृत भाषा ही नहीं बल्कि श्लोक, कर्मकांड, अध्यात्म परिचय, शास्त्र ज्ञान आदि भी सीखने की काफी ललक है। विदेशी छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी अलग से ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है। इन कक्षाओं के लिए उन शिक्षकों को चयन किया जा रहा है, जो संस्कृत के साथ अंग्रेजी भाषा का ज्ञान में रखते हैं। उन्होंने बताया कि छात्रों में संस्कृत सीखने की चाह को देखते हुए ऑनलाइन संस्कृत की 47 कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है।
चार सालों में बदली संस्कृत की तस्वीर
प्रदेश सरकार यूपी में संस्कृत की तस्वीर बदलने का काम किया है। चार पहले तक संस्कृत विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की हालत देखकर देववाणी संसकृत सीखने की चाह रखने वाले भी अपने कदम आगे नहीं बढ़ाते थे। प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद तस्वीर बदलना शुरू हुई। सीएम योगी ने अपने भाषणों को संस्कृत में जारी करना शुरू किया। कामकाज को संस्कृत को स्थान दिलाने का काम किया। संस्कृत को व्यापक पहचान दिलाने के लिए उप्र संस्कृत शिक्षा निदेशालय के गठन किया गया। सरकार ने उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के कार्यालय भवन के लिए पांच करोड़ रुपये आवंटित किए, ताकि व्यापक स्तर पर संस्कृत का प्रचार-प्रसार हो सके।
संस्कृत विद्यालयों में पढऩे वाले निर्धन छात्रों के लिए सरकार ने गुरुकुल पद्धति की शुरूआत की। जहां छात्रों के लिए मुफ्त छात्रावास व भोजन की व्यवस्था की गई । इससे संस्कृत पढऩे वालों की संख्या बढ़ी। कोरोना काल में संस्कृत की पढ़ाई न रूके। इसके लिए यूपी संस्कृत संस्थान की ओर से संस्कृत विद्यालायों को कम्पयूटर व इंटरनेट से लैस किया गया। प्रदेश के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में संस्कृत की कक्षाएं शुरू की गई। छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को संस्कृत भाषा की ट्रेनिग दी गई। चार सालों में इन प्रयासों के चलते प्रदेश के साथ विदेशी छात्र भी संस्कृत भाषा की ओर आर्कषित हो रहे हैं।