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जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र गठित होगा बोर्ड

इकोफ्रेंडली जैविक खेती से जन, जल और जमीन की चिंता करेगी सरकार.पांच साल में जैविक खेती का रकबा 101459 से बढ़ाकर तीन लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य.

लखनऊ । जन, जल और जमीन की चिंता के लिए जैविक खेती समय की मांग है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति बेहद संजीदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इसीलिए जैविक खेती पर खासा जोर भी है। तीन दिन पहले ही उच्चाधिकारियों की बैठक में उन्होंने इसकी संभावनाओं की चर्चा करते हुए इसको बढ़ावा देने के लिए बोर्ड के गठन का भी निर्देश दिया है। शासन स्तर पर अधिकारी इसकी तैयारी में जुट गए हैं।

इसके पहले भी 14 जून को उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 33वें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का वर्चुअली शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने इसमें भाग ले रहे देश भर के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा था कि प्राकृतिक खेती जन, जमीन और जल के लिए सुरक्षित होने की वजह से इकोफ़्रेंडली है। ऐसी खेती गोसंरक्षण में भी मददगार है। इस अभियान से वैज्ञानिकों के जुड़ने से अन्नदाता को बहुत लाभ होगा। जैविक खेती कम लागत में अच्छा उत्पादन और विष मुक्त खेती का अच्छा माध्यम है। इससे किसानों को भी लाभ होगा।

यूपी में जैविक खेती की संभावनाएं

उत्तर प्रदेश जैविक खेती के लिए भरपूर बुनियादी सुविधाएं पहले से मौजूद हैं। सरकार इन सुविधाओं में लगातार विस्तार कर रही है। जैविक खेती का मुख्यालय नेशनल सेंटर फॉर ऑर्गेनिक फॉर्मिंग (एनसीओएफ) गाजियाबाद में स्थित है। देश की सबसे बड़ी जैविक उत्पादन कंपनी उत्तर प्रदेश की ही है। यहां प्रदेश के एक बड़े हिस्से में अब भी परंपरागत खेती की परंपरा है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इसके किनारों पर जैविक खेती की संभावनाओं को और बढ़ा देती है।

योगी सरकार की ओर से अब तक किए गए कार्य और नतीजे

जैविक खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए योगी सरकार-01 से ही प्रयास जारी हैं। इसके तहत योगी सरकार-01 में जैविक खेती के क्लस्टर्स बनाकर किसानों को जैविक खेती से जोड़ा गया। तीन वर्ष के लक्ष्य के साथ 20 हेक्टेयर के एक क्लस्टर से 50 किसानों जुड़े। प्रति क्लस्टर सरकार तीन साल में 10 लाख रुपये प्रशिक्षण से लेकर गुणवत्तापूर्ण कृषि निवेश उपलब्ध कराने पर ख़र्च करती है। जैविक उत्पादों के परीक्षण के लिए एक प्रयोगशाला लखनऊ में क्रियाशील है। मेरठ और वाराणसी में काम प्रगति पर है।

पिछले दो वर्षों के दौरान 35 जिलों में 38 हजार 703 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर जैविक कृषि परियोजना को स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके लिए 22 लाख 86 हजार 915 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जैविक खेती के प्रति लोग जागरूक हों। इस बाबत 16 दिसंबर 2021 में कृषि विभाग वाराणसी में 22 जनवरी 2020 को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में नमामि गंगे योजना के तहत कार्यशाला और प्रदेश के पांच कृषि विश्विद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), कृषि प्रबन्धन संस्थान रहमान खेड़ा पर जैविक खेती के प्रदर्शन के पीछे भी सरकार का यही मकसद रहा है।

कार्ययोजना

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता बताते हैं कि योगी सरकार-02 में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए जो लक्ष्य रखा है, उसके अनुसार गंगा के किनारे के सभी जिलों में 10 किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। बुंदेलखंड के सभी जिलों में गो आधारित जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे इस पूरे क्षेत्र में निराश्रित गोवंश की समस्या हल करने में मदद मिलेगी। प्रदेश के हर ब्लॉक में जैविक खेती को विस्तार दिया जाएगा। ऐसे उत्पादों का अलग ब्रांड स्थापित करना, हर मंडी में जैविक आउटलेट के लिए अलग जगह का निर्धारण किया गया है। सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में प्रदेश के तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर जैविक खेती का विस्तार करते हुए सात लाख 50 हजार किसानों को इससे जोड़ने की है।

जैविक खेती के लिए खरीफ के मौजूदा सीजन ( 2022) से शुरू होने वाली योजना के तहत जिन ब्लाकों में जैविक खेती के लिए क्लस्टर बनेंगे, उसमें से प्रत्येक में 1-1 चैंपियन फार्मर एवं लोकल रिसोर्स पर्सन, 10 कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन और दो लोकल रिसोर्स पर्सन चयनित किए जाएंगे। कुल मिलाकर लक्ष्य जैविक उत्तर प्रदेश के जरिए जैविक भारत का है।(हि.स.)

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