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राशन,रोजगार से ज्यादा जरूरी है कंडोम,सरकार का अजीबोगरीब फैसला

अजीत मिश्र
पटना।बिहार के क्वारंटीन सेंटर इस समय मजदूरों के बीच बेहतर क्वॉलिटी के भोजन के लिये नहीं बल्कि कंडोम बांटने के लिये चर्चा में हैं।सेन्टरों पर नियमित रूप से बांटे जा रहे हैं कंडोम।यही नहीं अधिकारी इसे लेकर इतने उत्साहित हैं कि कहते हैं कि जिस मजदूर को कंडोम नहीं मिला हम लोग उनके घरों तक पहुंचाएंगे।
खबर के अनुसार देश में फैली महामारी के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्यों की ओर वापस चले गये हैं। इस बीच बिहार में प्रवासी मजदूरों से सबंधित एक अजीब मामला देखने को मिला है. यहां बिहार सरकार उन प्रवासी मजूदूरों को कंडोम का वितरण कर रही है, जो 14 दिनों के क्वारंटीन के बाद अपने घर जा रहे हैं. राज्य सरकार की मानें तो राज्य में अबतक 30 लाख प्रवासी मजदूर राज्य में वापस लौट चुके हैं।इस बीच लगता है कि कई माह अपनी विपरीत लिंगियों से दूर रहने के कारण मजदूरों में जबरदस्त प्यार उमड़ रहा होगा।ऐसे में अगर इस प्यार के तूफान पर कंडोम से काबू नहीं किया गया तो बिहार में जनसंख्या विस्फ़ोट का नया खतरा पैदा हो सकता है।केसठ पंचायत के चिकित्साकर्मी चितरंजन मिश्रा इसे मजदूरों से मज़ाक बताते हैं।वे कहते हैं जिनका पेट भरा होता है उनके सोंचने का नज़रिया भी कुछ इसी तरह का होता है।
इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के एक चिकित्साकर्मी ने बताया कि इस पहल की शुरुआत परिवार नियोजन के मद्देनजर बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिया गया है।उन्होंने कहा कि लाखों प्रवासी मजदूर राज्य में वापस आए हैं ऐसे में राज्य में जनसंख्या नियंत्रण में रहे इस कारण उनके बीच कंडोमों का वितरण किया जा रहा है।बताया जाता है कि इस पहल में स्वास्थ्य विभाग अपने सहयोगी संस्था केयर इंडिया से भी मदद ले रहा है।बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी को क्वारंटीन सेंटरों में 2 पैकेट कंडोम बांटे जा रहे हैं।यही नहीं आशा कार्यकर्ता युद्ध स्तर पर घर-घर घूम कर जो लोग होम क्वारंटीन में हैं उन्हें भी कंडोम के पैकेंट बांट रही हैं. साथ ही कुछ जिलों में गर्भनिरोधकों का सभी लोगों में सामान्य वितरण भी किया जा रहा है।जानकारी है कि परिवार नियोजन विभाग इस योजना को जून महीने के मध्य तक जारी रखेगा।बताया जाता है कि कोरोना महामारी के चलते अब भी 13 लाख लोग क्वारंटीन सेंटरों में हैं.
वहीं केयर इंडिया के परिवार नियोजन समन्वयक अमित कुमार कहते हैं कि घर-घर जाकर स्वास्थ्य की जांच करने के दौरान गर्भनिरोधकों यानी कंडोम का वितरण करना काफी आसान है। जिन्हें इसका लाभ क्वारंटीन सेंटरों में नहीं मिला, उनके घर कंडोम के पैकेट जल्द ही पहुंचा दिए जाएंगे।हालांकि क्वारन्टीन सेन्टरों के बारे में बहुत संतोषजनक खबरें नहीं आ रही हैं।कई जगह मजदूरों के बीच गुणवत्ताविहीन खाना परोसने की शिकायतें भी आ रही हैं।इस स्थिति में कंडोम से ज्यादा मजदूरों में राशन,रोजगार और सम्मानजनक जीवन की ज्यादा दरकार है।इसकी जिम्मेदारी भी अंततः सरकार की हीं बनती है।

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