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चंद्रग्रहण 5 जून को,जानिए भारत में इसका असर

अजीत मिश्र

पटना।शुक्रवार 5 जून को लग रहा यह चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण होगा।भारत में भी यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा,लेकिन इस दौरान सूतक के नियम नहीं माने जाएंगे। यह चंद्र ग्रहण ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लग रहा है। यह उपछाया चंद्र ग्रहण रात में 11 बजकर 11 मिनट से शुरू होगा और रात में 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगा। ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होंगे।सासाराम के फजलगंज निवासी ज्योतिषाचार्य (पीएचडी) काशी हिंदू विश्वविद्यालय श्री कृष्ण दूबे का कहना है कि यह ग्रहण वास्तविक चंद्र ग्रहण ना होकर एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा।उपछाया चंद्र ग्रहण को धार्मिक लिहाज से बहुत ज्यादा मान्यता नहीं दी जाती है।श्री दूबे कहते हैं कि हालांकि, ग्रहण के दौरान थोड़ी बहुत सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए। 5 जून को लगने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण रात में 11 बजकर 11 मिनट से शुरू होगा और रात में हीं 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगा। ये चंद्र ग्रहण ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लग रहा है। आइए जानते हैं कि यह चंद्र ग्रहण कब और कहां-कहाँ दिखाई देगा और भारत में इसका कितना असर होगा।कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण-ये चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में दिखाई देगा।भारत में भी यह ग्रहण तय समय पर दिखाई देगा लेकिन उपछाया ग्रहण होने की वजह से यहां किसी भी तरह के धार्मिक कार्य नहीं रोके जाएंगे। यह चंद्र ग्रहण रात तकरीबन सवा 11 बजे से ढाई बजे तक रहेगा यानी इसकी कुल अवधि करीब तीन घंटे रहेगी।ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ होने की बजाय अपने पूरे आकार में नजर आएगा।ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होंगे।

इस चंद्र ग्रहण की खास बातें-

इस बार का चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा।शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है।इसलिए इस दिन कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा।इस ग्रहण में चंद्रमा वृश्चिक राशि में ज्येष्ठ नक्षत्र में लगने वाला है।वृश्चिक राशि के लोगों को चंद्र ग्रहण के समय सावधान रहने की जरूरत है।

क्या होता है उपछाया ग्रहण?

यह ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है। चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है।जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है।उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है।यह चंद्रग्रहण क्यों खास है यह भी जान लेते हैं।ग्रहण काल में किन- किन चीजों पर पाबंदी नहीं है ? क्या इस चंद्र ग्रहण पर सूतक लगेगा?ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में रखा हीं नहीं जाता है।इसलिए बाकी ग्रहण की तरह इस उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा।सूतक काल मान्य ना होने की वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी।इसलिए इस दिन आप सामान्य दिन की तरह ही सभी काम कर सकते हैं।क्या होता है चंद्रग्रहण?जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है।इसे चंद्रग्रहण कहते हैं. जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है। चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है।एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है.चंद्र ग्रहण क्यों होता है?चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति है।जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है।जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है।इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना।यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता।उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है।यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी लागू होता है।उपछाया चंद्र ग्रहण होने के चलते लोगों को इसबार घबराने की जरूरत नहीं है हालांकि हर सूर्य या चन्द्रग्रहण के दौरान थोड़ी-बहुत सावधानियां जरूर रखनी चाहिये।

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