दुद्धी, सोनभद्र : तहसील मुख्यालय दुद्धी में 1973 से स्थापित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुद्धी अपनी दुर्दशा पर आँसू बहाने को विवश है। लगभग पांच दशक पूर्व स्थापित इस महाविद्यालय में आज भी सुविधाओं व शिक्षकों का टोटा है। उक्त बातें भाजपा नेता डीसीएफ चेयरमैन सुरेंद्र अग्रहरि ने पत्र प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान कही।उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में स्नातक की तीन संकाय कला, वाणिज्य और विज्ञान के साथ साथ स्नातकोत्तर में कला संकाय की तीन विषयो में शिक्षा दी जा रही है। लेकिन प्राध्यापकों की कमी से छात्र, छात्राओं को वह शिक्षा नही मिल पा रही है ,जिसके वह सच्चे अर्थों में अधिकारी है। जिस उद्देश्य के साथ भाउराव देवरस स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना की गई थी, उस उच्च शिक्षा को देने में महाविद्यालय असफल रहा है, जिसका मुख्य कारण प्राध्यापकों की कमी है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के सबसे अन्तिम विधानसभा क्षेत्र( 403) दुद्धी जो झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा से लगता है और इन तीनो राज्यों के छात्र, छात्राएं भी यहाँ शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं । यह महाविद्यालय आदिवासी बहुल क्षेत्र में उच्च शिक्षा का अलख जगाने के लिए स्थापित किया गया था । निजी महाविद्यालय की अपेक्षा छात्र, छात्राएं सरकारी में अध्ययन करना चाहते हैं, प्रवेश भी करा लेते हैं। लेकिन जिस उद्देश्य के साथ प्रवेश लेते है वह उद्देश्य पूर्ण नही हो पाता है।वहीं दिल्ली, इलाहाबाद व वाराणसी जैसे महानगरों में स्थित कालेजों में सारी सुविधाएं व शिक्षकों की पर्याप्त तैनाती होती है। फिर इस आदिवासी बहुल क्षेत्र के छात्र-छात्राओं के साथ दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है।
यहाँ के छात्र-छात्राओं में भी प्रतिभा है,शिक्षा ग्रहण करने की जिज्ञासा है, क्षमता है फिर सरकार यहाँ के छात्र, छात्राओ के साथ भेदभाव क्यों कर रही है। यह एक यक्ष प्रश्न है। यहाँ के छात्र भी भारतीय प्रशासनिक सेवा, सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए उत्सुक रहते हैं, लेकिन उचित मार्गदर्शन व पूर्ण पढ़ाई से वंचित होने के कारण इनका सपना, सपना ही रह जाता हैं । प्राध्यापकों की कमी होने के बावजूद किसी तरह डिग्री हासिल हो जाती है। लेकिन वह किस काम का।सरकार को चाहिए कि उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र, छात्राओ को वह शिक्षा प्राप्त हो जिसके वह वास्तव में हकदार हैं। जिससे वह किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बैठ सके।
डीसीएफ चेयरमैन सुरेन्द्र अग्रहरि ने कहा कि कला संकाय में अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, हिन्दी, समाजशास्त्र व प्राचीन इतिहास में 7 सहायक प्राध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं। इसी प्रकार विज्ञान संकाय में गणित, रसायन विज्ञान व भौतिक विज्ञान के 3 पद रिक्त है। वाणिज्य में 01 पद रिक्त है, शारीरिक शिक्षा के एक पद, कार्यालय अधीक्षक, दफ्तरी, चौकीदार व परिचारक के पद रिक्त होने के साथ साथ जिसकी अहम आवश्यकता होती है पुस्तकालयाध्यक्ष की, जिनके पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं । इस कारण महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओ का भविष्य संकट में है। इस संदर्भ में श्री अग्रहरि ने उच्च शिक्षा मन्त्री, जिले के प्रभारी मंत्री समेत जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए, रिक्त पदों पर शीघ्र तैनाती की मांग की है।