State

जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की रोका

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने जाने-माने योग गुरु जग्गी वासुदेव की ओर से कोयंबटूर में संचालित ईशा फाउंडेशन आश्रम के खिलाफ दो महिलाओं को कथित तौर पर बंधक बनाकर रखने के एक मामले में तमिलनाडु पुलिस की कोई भी कार्रवाई करने पर गुरुवार को रोक लगा दी।मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पार्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ईशा फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी द्वारा मौखिक उल्लेख किए जाने पर अपना आदेश पारित किया, जिसमें इस मामले में उच्च न्यायालय के निर्देश और मौखिक टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई गई।पीठ ने 39 और 42 साल की दो साध्वियों से बातचीत की और पाया कि वे अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव के वहां रह रही हैं।

शीर्ष अदालत में एक व्यक्ति ने याचिका दायर करके आश्रम पर आरोप लगाया है कि उसकी दो बेटियों को वहां बंधक बनाकर रखा गया है।इसके विपरीत पीठ ने (महिलाओं से बातचीत के बाद) बताया कि महिलाओं ने यह भी कहा कि वे आश्रम से बाहर जाने के लिए स्वतंत्र हैं और उनके माता-पिता भी समय-समय पर उनसे मिलने आते हैं।पीठ ने कहा,“ दोनों महिलाओं में से एक ने कहा कि उसने हाल ही में हैदराबाद में 10 किलोमीटर की मैराथन में भी भाग लिया था।”शीर्ष अदालत ने इस मामले को मद्रास उच्च न्यायालय से अपने पास स्थानांतरित कर लिया। साथ ही, आश्रम में दो दिनों तक तलाशी लेने वाली पुलिस को इस न्यायालय के समक्ष अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि वह इस मामले में अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को करेगी।शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई के दिन दोनों महिलाओं के पिता को आभासी या शारीरिक रूप से शीर्ष अदालत में पेश होने का आदेश दिया।श्री रोहतगी ने उच्च न्यायालय के उस आदेश की वैधता पर सवाल उठाया, जिसमें दोनों महिलाओं के पिता की दलीलों पर गौर करने के बाद पुलिस जांच का निर्देश दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि आश्रम के अंदर कई अन्य लोगों को जबरन बंधक बनाकर रखा गया था।वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि दोनों महिलाएं 24 और 27 साल की उम्र में आश्रम में शामिल हुई थीं। कुछ साल पहले उनकी मां द्वारा दायर इसी तरह की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा किया गया था, जब दोनों महिलाओं ने कहा था कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में शामिल हुई थीं।

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि आश्रम में पुलिस टीम के साथ अन्य विभागों के अधिकारी भी थे।केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दूरगामी परिणाम होने के का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों पर आपत्ति जताई।उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार को पूछा था कि जग्गी वासुदेव ने अपनी बेटी की शादी कर दी और वह गृहस्थ जिंदगी जी रही है लेकिन वह अन्य युवतियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासी की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित करते हैं।कोयंबटूर ग्रामीण जिला पुलिस अधीक्षक के कार्तिकेयन के नेतृत्व में एक बहु-विभागीय टीम ने 30 सितंबर के उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर थोंडामुथुर में ईशा फाउंडेशन के विशाल परिसर में एक अक्टूबर को जांच शुरू की थी।

पुलिस के साथ समाज कल्याण विभाग और जिला बाल संरक्षण समिति के अधिकारी थे।पुलिस जांच में पिछले सप्ताह यौन अपराधों के विरुद्ध बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत फाउंडेशन में कथित रूप से काम करने वाले एक डॉक्टर के खिलाफ दर्ज मामले के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी। (वार्ता)

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button