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25 जुलाई से 22 अगस्त तक काशी में होगी विशेष शिव आराधना

26 जुलाई को पड़ेगा पहला सोमवार, बाबा दरबार समेत तमाम शिवालयों में चल रही भव्य तैयारियां

वाराणसी। भूत भावन भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में सावन मास का विशेष महत्व होता है। बाबा विश्वनाथ दरबार के अलावा सारनाथ स्थित सारंग नाथ महादेव, कैथी स्थित मार्कण्डेय महादेव समेत तमाम प्रसिद्ध शिव मंदिरों में सावन की तैयारियां अंतिम दौर में चल रही हैं। मान्यता है कि इस मास में व्रत, दर्शन और पूजन से सभी भक्तों के मनोरथ भी अवश्य पूर्ण होंगे। तमाम पंचांग का अवलोकन करें तो सावन में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं।

इसमें भगवान शिव का अनुष्ठान व्रत करने से विशेष फल भी मिलता है। इस बार श्रावण मास रविवार से शुरू होकर रविवार को ही समाप्त हो रहा है। इसी माह सावन 25 जुलाई से आरंभ होकर आगामी 22 अगस्त तक रहेगा। सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त गुरुवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा।

महाशिवरात्रि भी इस बार 6 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या 8 अगस्त रविवार को है। इन दिनों शिव भक्त भगवान शिव का विशेष दर्शन पूजन एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। नाग पंचमी 13 को रक्षाबंधन 22 अगस्त को होगा , अगले माह से नाग पंचमी के साथ धुआंधार तमाम पर्व की शुरुआत हो जाएगी। बता दें कि नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस मास का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा तब करोड़ों बने अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधेंगी।

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत करना श्रेयस्कर

सावन माह में श्रद्धालुओं को शिव कृपा प्राप्त करने के लिए प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेल पत्र, मदार की माला, भांग, ऋ तु फल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की महिमा में शिव मंत्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव साधना एवं शिव महिमा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मंत्र को विशेष फलदायी माना गया है।

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