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आधार ने बदला लोगों के ‘जीवन का आधार’

पूरे देश के लोगों द्वारा आधार के उपयोग में निरंतर प्रगति देखी जा रही है। अकेले नवंबर में, आधार का उपयोग करके 28.75 करोड़ ई-केवाईसी लेनदेन किए गए, जो पिछले महीने की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है। आधार कार्ड केवल लेनदेन में ही नहीं बल्कि सुशासन और देशवासियों को कल्याणकारी वितरण में तेजी लाने में भी अपनी भूमिका निभा रहा है। इससे पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा मिलता है। इस लेख में हम आधार कार्ड से होने वाले अनेक फायदों के बारे में जानेंगे।

पारदर्शिता को मिला आधार

आज आधार सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए “आधार” बन गया है। अब बिना किसी रुकावट या बिचौलियों के लाभार्थी के खाते में सीधे और तेजी लाभ हस्तांतरण संभव हो गया है। करीब 315 केंद्रीय योजनाएं और 500 राज्य योजनाएं सेवाओं की प्रभावी डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए आधार कार्ड का लाभ उठाया जा रहा है। सरकार को आधार से फर्जी और डुप्लीकेट पहचान को खत्म करने में भी मदद मिली है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि सरकार ने 2014-21 के दौरान 4.28 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द किए हैं। इसी को देखते हुए अगले से मानरेगा को भी डिजिटल किया जा रहा है।

सरकारी पैसे की बचत

आधार के माध्यम से बिना किसी हस्तक्षेप या बिचौलियों के तेजी से लाभ हस्तांतरण होता है। इससे बड़ी मात्रा में सरकारी धन की बचत होती है। आधार के कारण ही 2014-2021 के दौरान 4.28 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए। आधार ने सरकारी सब्सिडी में होने वाले रिसाव को कम कर दिया है। पिछले आठ वर्षों में DBT अर्थात प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के द्वारा मोबाइल और आधार सहित अन्य आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये को गलत हाथों में जाने से बचाया गया।

कालेधन पर लगाम

सरकार ने अब पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करवाना अनिवार्य कर दिया है। इससे फर्जी पैन कार्ड के इस्तेमाल पर अंकुश लगेगा। साथ ही सरकार ने कहा कि इस फैसले से काले धन और आतंकी फंड पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी। अब तक लाखों फर्जी पैन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। पैन और आयकर रिटर्न को आधार से लिंक करने से फर्जी वित्तीय खातों का पता लगाना आसान हो गया है। इससे पहले तक फर्जी पैन कार्ड के जरिए फर्जी कंपनियों में फंड डायवर्ट किए जाते रहें है।

कर्मचारी हुए वक्त के पाबंध

आधार कार्ड ने सरकारी कर्मचारियों को भी वक्त का पाबंद बना दिया है। केंद्र सरकार के आदेश के बाद कर्माचरियों को समय पर ऑफिस पहुंचने के लिए ही सरकारी दफ्तरों में बायोमेट्रिक एडेंटेस सिस्टम लगाया गया। सरकारी दफ्तरों में बायोमेट्रिक सिस्टम का असर दिख रहा है। लेटलतीफी के लिए मशहूर तमाम सरकारी बाबू अब सुबह के 9 बजते ही ऑफिस में नजर आते हैं। बायोमेट्रिक एडेंटेस से सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली पर असर पड़ा है और अब पहले से ज्यादा काम होने लगा है।

फर्जी वोटिंग रुकी

अब देश में आधार कार्ड को वोटर आईडी से भी लिंक करने की प्रक्रिया चल रही है। वोटर लिस्ट में डुप्लीकेसी रोकने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। फर्जी वोटिंग रोकने के लिए चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने की पहल शुरू की है। इससे चुनाव के समय देश में फर्जी वोटिंग के मामलों पर लगाम लगाने में आसानी होगी। इसकी मदद से एक से ज्यादा क्षेत्र में एक ही व्यक्ति के नाम के रजिस्ट्रेशन की पहचान होगी और डुप्लीकेसी कम होगी।

भारत का कद ऊंचा

इसमें कोई शक नहीं है कि आधार कार्ड के कारण देश में भ्रष्टाचार में कमी आई है। भ्रष्टाचार को लेकर वर्तमान केंद्र सरकार ने भी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी है। यही कारण है कि देश में अब तक घोटाले को लेकर एक भी मामले सुनने को नहीं मिल है । ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के नवीनतम भ्रष्टाचार संवेदन सूचकांक में भारत के अंक में सुधार हुआ है। इस सूचकांक में 180 देश हैं। विश्वबैंक की कारोबारी सुगमता की बात की जाए तो भारत ने 14 अंकों की छलांग लगाई है। इसके साथ ही भारत 63वें स्थान पर पहुंच गया है।

केवल 12 अंकों का आधार कार्ड सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार बन गया है। आधार दुनिया में “सबसे सफल” बायोमेट्रिक-आधारित पहचान कार्यक्रमों में से एक है। यह विश्व स्तर पर अपनी तरह का एकमात्र कार्यक्रम है, जिसमें लोगों को इतने बड़े पैमाने पर एक अत्याधुनिक डिजिटल और ऑनलाइन आईडी मुफ्त में प्रदान की जाती है। आधार कार्ड केवल लेन-देन में ही नहीं बल्कि पारदर्शिता, कालेधन और सरकारी पैसों की बर्बादी पर लगाम लगाने में भी सफल हुआ है।

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