ArticleArts & Culture

शब्द शब्द यात्राएं : कवियत्री ने किया है गागर में सागर भरने का प्रयास

गाजीपुर। शिक्षिका पूजा राय के प्रथम काव्य संग्रह “शब्द शब्द यात्राएं” का लोकार्पण समारोह शहर के प्रिसिडियम इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में, कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सम्पन्न हुआ। प्रयागराज के वरिष्ठ साहित्यकार एवं अखिल भारतीय हिन्दी महासभा के काशीप्रांत के अध्यक्ष डा.विजयानन्द की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर की प्राचार्या डा.सविता भारद्वाज रहीं। विद्यालय के निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार माधव कृष्ण ने मुख्य वक्ता की भूमिका का निर्वहन किया।

पुस्तक लोकार्पण के पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर तथा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
मुख्य वक्ता माधव कृष्ण ने अपने सम्बोधन में कहा कि मनुष्य का व्यक्तित्व स्वतंत्र व अत्यंत महत्वपूर्ण है पर जो लोग वयक्तिक स्वतंत्र की बात कर रहे हैं वह भी यही चाहते हैं कि जब हम उनके साथ खड़े हो तो हम उनकी तरह सोचें उनकी तरह लिखें और यदि हम उनकी तरह नहीं लिखते हैं या उनकी तरह नहीं सोचते हैं तो हमें बाहर का रास्ता दिखाने का प्रयास किया जाता है। पूजा ने व्यक्ति स्वतंत्र के केंद्र में अलग-अलग समाज के लोगों को रखा है। मुख्यतः उन्होंने आधी आबादी की स्वतंत्रता की बात करते हुए अपनी कविता के माध्यम से नयी चेतना जागृत करने कि प्रयास किया है।

पुस्तक पर अपनी बेबाक टिप्पणी करते हुए मुख्य अतिथि सविता भारद्वाज ने अपने सम्बोधन में कहा कि कहा कि इस पूरे ग्रंथ में न सिर्फ इनका जीवन वृत्त है, न सिर्फ इनकी संवेदना है, न सिर्फ इनकी अनुभूति है, न सिर्फ इनकी सहानुभूति है अपितु इनकी विचारधारा, इन का चिंतन है। यह चिंतन सिर्फ समाज का नहीं वरन पूरे विश्व की चिंता है। युवा कवियत्री ने इतनी कम उम्र में कविता को नये परिवेश में ऊंचाइयों पर पहुंचाने का बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कवियत्री पूजा को उनके लेखन पर हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

कवियत्री रश्मि शाक्य ने कहा कि जिस भाषा और जिस संस्कृति में मृत्यु को लेकर जितनी गहरी समझ होगी उस भाषा में और उस संस्कृति में कविता भी उतनी ही विशिष्ट लिखी जाएगी। कवियत्री अनु ने कहा कि मैंने जितना जाना एक स्त्री के रूप में मैं यही कह सकती हूं कि इन कविताओं में स्त्रियां स्वयं को देख सकेंगी। प्रत्येक स्त्री को इन कविताओं में अपना समय याद आएगा इनका लेखन सुंदर शब्दों और भावों से ही परिचित नहीं कराता वरुण उनके द्वारा किए गए ज्ञानार्जन से भी परिचित कराता है।

वरिष्ठ साहित्यकार गजाधर शर्मा गंगेश ने कहा कि- कविता के आंगन में मंगल धुन गूंजा है,
प्रमुदित परिंदों का मुखरित स्वर गूंजा है,
सपनों की क्यारी में कविता उगाती जो,
वह कोई और नहीं कवित्री पूजा है

समारोह के अध्यक्ष डा.विजयानंद तिवारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि – हमें इस बात का गर्व है। गाजीपुर की धरती जो व्रह्मर्षि विश्वामित्र के पिता के नाम पर स्थापित है, लगातार रचनाकारों की धरती रही है। एक कवि संवेदना सड़क से घर से आपसी रिश्तो से प्राप्त करता है और लिखता है और वह उन्हीं शब्दों मे लयबद्धता ला देता है जो आम लोग नहीं कह पाते हैं। इस काव्य संग्रह में कवियत्री ने विज्ञान, दर्शन, अनुभव,महिला की पीड़ा में भावनाओं की अभिव्यक्ति का बहुआयामी चित्रण किया है। ये कविताएं मन को झकझोरने में सक्षम हैं। देती हैं।

आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकारों व पत्रकारों ने इस नयी पुस्तक पर अपनी बेबाक राय जाहिर करते हुए कवियत्री पूजा राय को उनकी कृति के लिए बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। आयोजन में साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर, डा.व्यासमुनि राय,मंजू रावत, सत्येन्द्र नाथ शुक्ला,प्रमोद राय,नीरज यादव की गरिमामय उपस्थिति रही। संचालन कवियत्री रश्मि शाक्य व आभार ज्ञापन ए.के.राय ने किया।

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: