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डीआरडीओ का उपग्रह ‘सिंधु नेत्र अंतरिक्ष में पहुंचते ही शुरू किया जमीनी प्रणालियों के साथ संचार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को पीएसएलवी-सी 51 के जरिए एक साथ 19 उपग्रहों को लॉन्च किया। इन 19 उपग्रहों में डीआरडीओ के ‘सिंधु नेत्र’ निगरानी उपग्रह को भी अंतरिक्ष में भेजा गया है। अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित होने के बाद इस उपग्रह ने जमीनी प्रणालियों के साथ संचार करना भी शुरू कर दिया है। डीआरडीओ का यह उपग्रह हिन्द महासागर क्षेत्र के समुद्री इलाके की निगरानी में मदद करने के साथ ही चीन और पाकिस्तान की सीमा पर भी नजर रखेगा।

डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों ने ‘सिंधु नेत्र’ उपग्रह किया विकसित

हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सैन्य युद्धपोत और मर्चेंट शिपिंग गतिविधियों पर नजर रखने के लिए देश की निगरानी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए डीआरडीओ के युवा वैज्ञानिकों की एक टीम ने ‘सिंधु नेत्र’ उपग्रह विकसित किया है। यह आईओआर में सक्रिय युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों की स्वचालित रूप से पहचान करने में सक्षम है। डीआरडीओ के सूत्रों का कहना है कि ‘सिंधु नेत्र’ उपग्रहों की श्रृंखला में पहला है जो 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सभी भारतीय क्षेत्रों के पास की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेगा। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को लगता है कि इस तरह के चार और उपग्रह की आवश्यकता है जो दुश्मन की हर चाल पर नजर रखने में मदद कर सकते हैं।

सेना को मजबूती देने के लिए डिफेंस स्पेस एजेंसी की स्थापना

दुनिया में बदलते युद्ध के पारंपरिक तौर-तरीके और ‘मॉडर्न वार’ को देखते हुए सरकार ने डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) की स्थापना के साथ-साथ सरकार ने अंतरिक्ष सामग्रियों की क्षमता देखने के लिए डिफेंस स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन भी बनाया है। भविष्य में रक्षा बलों की अंतरिक्ष शाखा को मजबूत किया जाना है। डिफेंस स्पेस एजेंसी का गठन भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेनाओं को मिलाकर किया गया है जिसका मुख्यालय बेंगलुरु (कर्नाटक) में बनाया गया है। इस एजेंसी को भारत के अंतरिक्ष युद्ध और सेटेलाइट इंटेलिजेंस परिसंपत्तियों के संचालन का काम सौंपा गया है। इस एजेंसी को भविष्य में पूर्ण आकार की त्रि-सेवा सैन्य कमान में परिवर्तित किये जाने की उम्मीद है। इस कमांड का नेतृत्व सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस के हाथों में होगा।

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