इसके पहले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रसिद्द बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डी.एम. गुप्ता (निदेशक, पंखुड़ी अस्पताल, वाराणसी) ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एक मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए 40 से 50 डेसीबल तक की ध्वनि उचित होती है जबकि वर्तमान काशी में प्रमुख चौराहों पर 70 से 90 डेसीबल का शोर सामान्य बात हो गई है। पेड़ पौधों की बेतहाशा कटाई से भी ध्वनि प्रदूषण में काफी इज़ाफ़ा हुआ है। तेज शोर के कारण बेचैनी, घबराहट, तनाव, अनिद्रा और बहरापन जैसी तमाम बीमारियाँ लगातार बढ़ रही हैं। तेज लाउडस्पीकर, प्रेशर हॉर्न के साथ ही युवा पीढ़ी द्वारा ईयर फोन के बहुत अधिक प्रयोग से भी नाना प्रकार की बीमारियाँ हो रही हैं। इन सबसे बचने की जरूरत है। मगर साथ ही साथ हमें याद रखना पड़ेगा कि सभी प्रकार के प्रदूषण की जड़ में वैचारिक प्रदूषण है जिसे रोकने में परिवार और आपसी संवाद की बहुत बड़ी भूमिका होती है। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य श्री ज्याउर्रहमान] उपप्रधानाचार्य श्री फिरोज अहमद अंसारी] श्री अब्दुल हसीब अंसारी] श्री मोहम्मद मंज़ूर आलम खान] श्री मुबीन अंसारी] श्री इकबाल अहमद] डॉ रिजवानुल्लाह डॉ मफहूजुर्रहमान सहित सभी शिक्षकगण उपस्थित थे।