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रूबिया सईद ने यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान उनके अपहरणकर्ताओं के रूप में की

यासीन मलिक ने साथियों के साथ आठ दिसंबर, 1989 को किया था अपहरण.कोर्ट ने यासीन मलिक समेत 9 लोगों को अपहरण में आरोपित करार दिया था.

जम्मू । 1989 के रूबिया अपहरण से संबंधित एक मामले में शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद जम्मू के जानीपुर स्थित हाई कोर्ट परिसर में स्थित टाडा अदालत में पेश हुई और अलगाववादी नेता तथा जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान उनके अपहरणकर्ताओं के रूप में की है। यह जानकारी इस मामले की सुनवाई के बाद अधिकारियों ने दी।

यह पहली बार है जब रूबिया सईद को मामले में पेश होने के लिए कहा गया था। इस अपहरण के बदले में जेकेएलएफ ने पांच आतंकवादियों को रिहा करने के बाद उसे मुक्त कर दिया था।रूबिया सईद जो तमिलनाडु में रहती हैं को सीबीआई ने अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया है, जिसने 1990 की शुरुआत में मामले की जांच अपने हाथ में ली थी।प्रतिबंधित जेकेएलएफ के प्रमुख मलिक को हाल ही में एक आतंकी फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, इस मामले में वह मुख्य आरोपी है।

अपने अपहरण मामले में 33 साल बाद पहली बार सीबीआई कोर्ट में पेश हुईं रूबिया सईद

जम्मू । देश के पूर्व गृहमंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद 33 साल पहले हुए अपने अपहरण मामले में पहली बार शुक्रवार को सीबीआई कोर्ट के सामने पेश हुईं। रूबिया का अपहरण आठ दिसंबर, 1989 को अलगाववादी नेता व जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक ने अपने साथियों के साथ किया था।

शुक्रवार सुबह करीब साढ़े दस बजे जानीपुर स्थित हाईकोर्ट परिसर स्थित सीबीआई कोर्ट में रूबिया सईद पेश हुई। रूबिया सईद के पहुंचने के बाद अदालत के दरवाजे बंद कर दिए गए और बंद कमरे में केस की सुनवाई हुई। अदालत में केवल केस से जुड़े गवाहों के अलावा संबंधित वकील ही मौजूद रहे। इस बहुचर्चित मामले में अब अदालत रूबिया सईद समेत तीन गवाहों के बयान दर्ज कर रही है। इस मामले में रूबिया के अलावा फेस्पी व डॉ. शहनाज चश्मदीद गवाह हैं। इस मामले की सुनवाई कर रही जम्मू की सीबीआई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान रूबिया सईद को 15 जुलाई को पेश होने का आदेश दिया था।

डॉ. रूबिया सईद के अपहरण को लेकर श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में आठ दिसंबर, 1989 को रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके अनुसार रूबिया सईद उस समय ललदद अस्पताल में इंटरशिप कर रही थी। उस दिन वह जब ललदद अस्पताल से ड्यूटी खत्म करने के बाद वैन से लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ घर जा रही थी, तभी आतंकियों ने चानपूरा चौक के पास बन्दूक के बल पर उसकी वैन रोक ली। वैन में सवार मेडिकल इंटर्न रूबिया सईद को उतारकर आतंकियों ने सड़क किनारे खड़ी नीले रंग की मारूति कार में बैठा लिया और मौके से फरार हो गए।

अपहरण के करीब दो घंटे बाद जेकेएलएफ के जावेद मीर ने स्थानीय अखबार को फोन करके जानकारी दी कि जेकेएलएफ ने भारत के गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण कर लिया है। डॉ. रूबिया सईद की रिहाई के बदले में जेकेएलएफ ने अपने पांच आतंकियों को रिहा करने करने की शर्त रखी थी। अपहरण के 122 घंटे बाद 13 दिसंबर को सरकार ने पांच आतंकियों हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर व शेर खान को रिहा किया था जिसके बाद डॉ. रूबिया को छोड़ दिया गया था।

इस अपहरण केस की जांच सीबीआई ने 1990 में अपने हाथों में ली थी, जिसके बाद लगातार जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद 18 सितंबर, 1990 को जम्मू की टाडा कोर्ट में आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया गया था। इस मामले में कोर्ट ने 29 जनवरी, 2021 को यासीन मलिक के अलावा अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज उद दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी को आरोपित करार दिया था। सभी के ऊपर हत्याएं, हत्या का प्रयास, अपहरण और अन्य आरोप तय किए गए थे।(हि.स.)

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