Varanasi

बीएएमएस नवप्रवेशित छात्रों में शोध,नेतृत्व और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण विकसित करने का संकल्प

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय, आईएमएस द्वारा 15 दिवसीय ट्रांजिशनल करिकुलम ‘आयुर्वप्रवेशिका 2025’ का समापन आत्रेय हॉल में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों ने विद्यार्थियों को शोध-आधारित आयुर्वेद, चिकित्सकीय दृष्टिकोण, नेतृत्व और नवाचार के लिए प्रेरित किया। बीएएमएस छात्रों को प्रमाणपत्र व मेडल प्रदान किए गए और समारोह राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न हुआ।

वाराणसी । काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान द्वारा नवप्रवेशित बीएएमएस छात्रों के लिए आयोजित 15 दिवसीय ट्रांजिशनल कॅरिक्युलम ‘आयुर्वप्रवेशिका 2025’ का समापन समारोह बृहस्पतिवार को सिद्धांत दर्शन विभाग के आत्रेय हॉल में निर्बाध रूप से गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि आईएमएस-बीएचयू के कार्यवाहक निदेशक एवं डीन(रिसर्च), प्रो. गोपाल नाथ, ने अपने उद्बोधन में कहा कि आयुर्वेद में प्रवेश केवल एक शैक्षणिक आरंभ नहीं, बल्कि एक दृष्टि और दायित्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि भविष्य में शोध-आधारित आयुर्वेदिक अध्ययन वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य को आकार देगा और विद्यार्थियों को इसी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रबंधन अध्ययन संस्थान, बीएचयू के निदेशक प्रो. आशीष बाजपेयी ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आज का आयुर्वेद मात्र चिकित्सा-पद्धति नहीं, बल्कि नेतृत्व, नवोन्मेष और नीति-निर्माण की भाषा बन चुका है तथा यह समय छात्रों के लिए ‘सीखने से आगे, करने और नेतृत्व करने’ का है। कार्यक्रम की अध्यक्षता आयुर्वेद संकाय के डीन, प्रो. पी. के. गोस्वामी ने की एवं अपने उद्बोधन में कहा कि ‘आयुर्वप्रवेशिका’ केवल परिचयात्मक कार्यक्रम नहीं, बल्कि चिकित्सकीय दृष्टिकोण के बीज बोने वाला संस्कार है, जो जिज्ञासा से दायित्व की ओर जाने की यात्रा को परिभाषित करता है।

इस कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने पाठ्यक्रम की संकल्पना, रूपरेखा और शैक्षणिक संचालन का नेतृत्व किया तथा स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के प्रतिफल एवं परावर्तन प्रस्तुति का दायित्व डॉ. सुदामा सिंह यादव और डॉ. वंदना वर्मा ने निभाया। मंच संचालन डॉ. देवेनानंद उपाध्याय द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजकिशोर आर्य ने प्रस्तुत किया। इन भूमिकाओं के सुचारू निर्वहन के माध्यम से छात्रों को आयुर्वेद दर्शन, चिकित्सकीय संचार, पंचकर्म, सार्वजनिक स्वास्थ्य, अरोग्य-व्यवस्थापन, संस्थागत एवं अस्पताल परिचय, आपातकालीन उपचार, योग तथा सहानुभूति-आधारित चिकित्सा व्यवहार एवं उद्यमिता तथा शोध परक उद्देश्यों की समग्र समझ प्रदान की गई, जिससे वे बीएएमएस पाठ्यक्रम में सहजता और आत्मविश्वास के साथ प्रवेश करने में सक्षम हो सकें।

समारोह में कार्यक्रम समन्वयक, सह-समन्वयकों, आयोजन समिति के सदस्यों, स्वयंसेवकों तथा बीएएमएस विद्वानों को प्रमाणपत्र एवं मेडल प्रदान किए गए। यह सम्मान केवल उपस्थिति का प्रतीक नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में विकसित व्यावसायिक संस्कार, नेतृत्व क्षमता, समयबद्धता, संस्कृति-परिचय, परावर्तन क्षमता और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण के औपचारिक स्वीकार्यता का द्योतक रहा। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसके साथ ‘आयुर्वप्रवेशिका 2025’ ने अपनी औपचारिक पूर्णाहुति प्राप्त की और यह संकल्प स्थापित किया कि आईएमएस-बीएचयू न केवल चिकित्सक तैयार करता है, बल्कि ऐसे दायित्वनिष्ठ, चिंतनशील और संस्कारवान आयुर्वेदाचार्य गढ़ता है जो भविष्य की स्वास्थ्य-व्यवस्था को नई दिशा प्रदान करेंगे।

कार्यक्रम में प्रो. हरि हृदय अवस्थी, प्रो. रानी सिंह, प्रो. सी.एस पांडेय, डॉ. आशुतोष कुमार पाठक, डॉ. दिनेश कुमार मीणा, डॉ. नज़र हुसैन, डॉ. लक्ष्मी आदि मौजूद थे।

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