मंडी : हिमाचल प्रदेश में कोरोना के संक्रमण ने प्रसिद्ध साहित्यकार छेरिंग दोरजे की जान ले ली। छेरिंग दोरजे 85 साल के थे। तबीयत बिगड़ने पर 10 नवंबर को कुल्लू अस्पताल में उनका कोरोना टेस्ट करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्हें भुंतर स्थित तेगूबेहड़ कोरोना केयर सेंटर में भर्ती कराया गया, लेकिन गुरुवार 12 नवंबर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज नेरचौक रेफर किया गया था। यहां पर शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया। दोरजे के बड़े पुत्र भी कोरोना पॉजिटिव थे। हालांकि, वह उपचार के बाद स्वस्थ हो गए थे।
अटल टनल के निर्माण को लेकर दिया अहम योगदान
छेरिंग दोरजे ने हिमाचल के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति को एक अलग पहचान दिलाई थी। अटल टनल के उद्घाटन के दौरान टनल से गुजरी पहली एचआरटीसी बस में सवार होने वाले लोगों में उनका नाम भी शामिल था, लेकिन वह कोरोना के खतरे के चलते बस यात्रा में शामिल नहीं हुए थे। दोरजे ने साहित्य के क्षेत्र में दुनियाभर में नाम कमाया। अटल टनल के निर्माण को लेकर अहम योगदान दिया था। बताया जाता है कि दोरजे ने टनल के लिए केंद्र सरकार को कई चिट्ठियां लिखीं और केंद्र सरकार के पास दिल्ली भी गए।
हिमालय एनसाइक्लोपीडिया के नाम से जाने जाते थे दोरजे
छेरिंग दोरजे हिमाचल प्रदेश की सरकार से बतौर डीपीआरओ रिटायर हुए थे। उन्हें हिमालय एनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता है। वह अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष और मार्गदर्शक भी थे। दोरजे ने भोटी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जापान, कोरिया, रूस सहित विभिन्न देशों की यात्रा की है। बता दें, दोरजे ने अपने जीवन में हिमालय के करीब 200 दर्रों को पैदल पार किया था।