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आरबीआई की समीक्षा बैठक बुधवार से, दरों में वृद्धि पर विराम बने रहने की संभावना

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फाईल फोटो

नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की इस सप्ताह होने जा रही समीक्षा बैठक कोलेकर बाजार में मोटे तौर पर धारणा है कि नीतिगत ब्याज दर (रेपो) फिलहाल वर्तमान स्तर पर बनाए रखी जाएगी लेकिन केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए बाजार में अतिरिक्त नकदी के प्रवाह को कम करने के उपाय करने से नहीं झिझकेगा।आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय द्विमासिक समीक्षा बैठक बुधवार चार अक्टूबर को शुरू हो रही है और रिवर्ज बैंक के गर्वन शक्तिकांत दास बैठक के निष्कर्ष और निर्णयों की छह अक्टूबर को मुंबई में घोषणा करेंगे।

खास कर पश्चिमी देशों में मुद्रास्फीति के अब भी ऊंचा बने रहने तथा कच्चे तेल और जिंसों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी के चलते खास कर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व का नीतिगत रुख सख्त बना हुआ है। बावजूद इसके उम्मीद है कि आरबीआई अभी ब्याज दर बढ़ाने के सिलसिले को थामे रखेगा ताकि आर्थिक वृद्धि पर नकारात्मक असर न पड़े।श्रीराम फाइनेंस लि के कार्यकारी उपाध्यक्ष उमेश रेवनकर ने कहा कि आरबीआई अभी कुछ समय के लिए नीतिगत ब्याज दर बढ़ाए जाने पर विराम बनाए रखेगा। उन्होंने कहा पिछली समीक्ष के बाद मानसून की सक्रियता बने रहने से बारिश का अभाव दीर्घकालिक औसत की तुलना में कुछ कम हुआ है। इसके साथ साथ जरूरी खाद्य वस्तुओं की कीमतें भी नियंत्रण में हैं , लेकिन खरीफ की फसलों, खास कर दालों को लेकर अब भी चिंताएं हैं और इससे कीमतें बढ़ने का दबाव बन सकता है।

श्री रेवनकर ने कहा, “ हमारा मानना है कि आरबीआई कर्ज के प्रवाह पर नियंत्रण जारी रखेगा और जिससे खुदरा ग्राहकों और छोटी मझोली इकाइयों (एसएमई) के लिए कर्ज की लागत बढ़ सकती है। पर हमें विश्वास है कि इन पहलों का आर्थिक विकास पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुल मिलाकर, हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई कुछ और समय के लिए रेपो दर में बढ़ोतरी को रोक कर रखेगा। ”एमपीसी ने मुद्रास्फीति का दबाव कम करने के लिए मई 2022 से फरवरी 2023 के दौरान लगातार छह बार अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में वृद्धि की। उसके बाद इस वर्ष अप्रैल, जून तथा अगस्त की समीक्षा में नीतिगत दर को 6.50 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखा है।

इस समय बैंक दर 5.15 प्रतिशत , रिवर्स रेपो (जिस दर पर आरबीआई बैंकों की नकदी रखता है) 3.35 प्रतिशत तथा फौरी कर्ज की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) के लिए ब्याज दर को 6.75 प्रतिशत है।बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का भी मानना है कि अभी देश में मुद्रास्फीति ऊंची है फिर भी एमपीसी अभी नीतिगत दरों के वर्तमान ढांचे को बनाए रखना चाहेगी ।अगस्त 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति 6.83 प्रतिशत थी , लेकिन यह जुलाई के 7.44 प्रतिशत से नीचे है।रिवर्ज बैंक के गवर्नर दास ने पिछले महीने कहा था कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बार बार के उछाल के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की प्रत्याशाओं के जड़ पकड़ने का खतरा पैदा होता है। उन्होंने कहा था कि आरबीआई स्थिति पर निगाह बनाए रखेगा।

भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को 2-6 प्रतिशत के दायर में सीमित रखना चाहता है पर मौसमी प्रभाव, कच्चे तेल के अंतराष्ट्रीय बाजार में उतार चढ़ाव और यूक्रेन जैसी भू-स्थैतिक घटनाओं के चलते जिंस बाजार पर असर से कीमतों पर बदाव बना हुआ है।विश्व बैंक के अर्थशास्त्री और इंडिया डेवलपमेंट रिपोर्ट -अक्टूबर 2023 के लेखक ध्रुव शर्मा ने कहा मंगलवार को दिल्ली में यह रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “भारत में मुद्रास्फीति का दबाव कुछ घटा है लेकिन कुछ दबाव अभी बना हुआ है। खाद्य मुद्रास्फीति का उछाल अस्थायी है। कोर इन्फ्लेशन (विनिर्मित वस्तुओं के मूल्य स्तर) में कमी आयी है। ”उन्होंने खाद्य मुद्रास्फीति के लिए भारत सरकार और रिजर्व बैंक के प्रबंध की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने खाद्य की आपूर्ति बढ़ाने के लिए ‘ भारत दाल ’ प्रबंध किए हैं। जमाखोरी विरोधी नियम लागू किए है। कुछ खाद्य वस्तुओं का निर्यात बंद किया है ताथा कई उत्पादों पर शुल्क में कमी की है।

उन्होंने इसी संदर्भ में आरबीआई की एमपीसी द्वारा नीतिगत दरों में वृद्धि पर विराम से पहले रेपो दर में पिछले साल मई से इस साल फरवरी के बीच लगातार कुल मिलाकर 2.50 प्रतिशत की वृद्ध कर चुका है।श्री ध्रुव ने कहा कि एमपीसी ने ब्याज दर बढ़ाने पर विराम लगाया है , पर वह बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त धन के प्रवाह को अवशोषित करने के उपाय कर रही है।यह पूछे जाने पर कि अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने या तेल की कीमतों में वृद्धि का भारत में आयातित मुद्रास्फीति से संतुलन पर क्या असर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, “ हमारा अध्ययन है कि कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 डालर की वृद्धि से मुद्रास्फीति आधा प्रतिशत ऊंची हो जारी है।

”उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दस वर्ष के दौरान फेडरल रिजर्व की नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव घटा है।रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.9 प्रतिशत , 2024-25 में 4.7 प्रतिशत और उससे अगले वर्ष 4.1 प्रतिशत रहेगी। (वार्ता)

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