नयी दिल्ली : अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व में बंदरगाह से लेकर हवाई अड्डा और बिजली तथा ग्रीन एनर्जी से लेकर सीमेंट का कारोबार करने वाले अडानी उद्योग समूह के बारे में अमेरिकी मंदड़िया फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से मचे तूफान के बीच विश्व की दो प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों फिच और मूडीज ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यत: विनियामकीय व्यवस्था के तहत कारोबार करने वाले अडानी समूह की कंपनियों पर फिलहाल कर्ज चुकाने का कोई दबाव नहीं है।दोनों कंपनियों ने समूह की रेटिंग को घटाने का कोई संकेत नहीं दिया है। उनका कहना है कि अडानी समूह की रेटिंग से जुड़ी कंपनियों के लिए कोई बड़ा विदेशी कर्ज चुकाने की जरूरत वित्त वर्ष 2024-25 से पहले नहीं आने जा रही है। वे समूह के लिए कर्ज की सुविधा और उसकी दीर्घकालिक लागतों और किसी भी संभावित नियामकीय अथवा कानूनी घटनाक्रम पर बराबर निगाह रखे हुए हैं।
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी 2023 को जारी रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर बहुत तेजी से और बहुत अधिक नीचे आ गए हैं। भारत में इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गयी है। विपक्षी दलों ने अडानी समूह पर राजनीतिक साठ-गांठ से सरकारी वित्तीय कंपनियों की पूंजी का फायदा उठाने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग की है और इसके चलते संसद के बजट सत्र के शुरू में ही गतिरोध पैदा हो गया है।रेटिंग एजेंसी फिच ने एक रिपोर्ट में कहा कि अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों को हाल-फिलहाल कोई बड़ी विदेशी देनदारी नहीं चुकानी है और समूह के खिलाफ अमेरिका की मंदडिया कंपनी की ताजा रिपोर्ट से उनकी कंपनियों की उसकी रेटिंग की स्थिति पर फिलहाल कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
फिच ने कहा है कि वह अडानी समूह की जिन कंपनियों की वित्तीय साख की स्थिति की निगरानी करती है, उनकी कर्ज की सुविधा और कर्ज की दीर्घकालिक लागत तथा किसी प्रकार की किसी प्रतिकूल विनियामकीय/ कानूनी कार्रवाई या पर्यावरणीय, सामाजिक या संचालन संबंधी मामलों पर बराबर ध्यान रखे हुए है।सिंगापुर से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अडानी समूह को निकट भविष्य में विदेशी मुद्रा में अंकित बांड का कोई बड़ा भुगतान नहीं करना है।रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह की कंपनियों को विदेशी मुद्रा बांड के जो बड़े भुगतान करने हैं, उनमें सबसे पहला बड़ा भुगतान अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (रेटिंग स्थिर) का है, जो जून 2024 में करना है। इसी तरह स्थिर वित्तीय साख वाली कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड प्रतिबंधित समूह एक के भुगतान दिसंबर 2024 में करने हैं।
समूह की बाकी कंपनियों के बांड का भुगतान 2026 या उससे आगे आने वाले समय में करना है।मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने अडानी समूह को लेकर किसी तत्काल चिंता से मुक्त बयान में शुक्रवार को कहा कि बंदरगाह, विशेष आर्थिक क्षेत्र, ग्रीन एनर्जी और बिजली पारेषण जैसे विनियमित क्षेत्रों के कारोबार में लगी समूह की कंपनियों से संबंधित उसकी रेटिंग इन कंपनियों के दीर्घकालिक व्यावसायिक अनुबंधों तथा मजबूत नकदी प्रवाह एवं बाजारों की स्थिति से जुड़ी है।मूडीज ने एक बयान में कहा है कि अडानी समूह पर 2024-25 से पहले किसी बड़े कर्ज की देनदारी नहीं खड़ी होने वाली है, पर अमेरिकी मंदडिया कंपनी की रिपोर्ट के बाद उसके शेयरों में मची उठापटक से उसकी विस्तार परियोजनाओं के लिए योजनानुसार कर्ज जुटाना आने वाले एक-दो साल में कठिन हो सकता है। मूडीज ने यह भी जोड़ा है कि ‘वह समझती है कि समूह क्षमता विस्तार के काम को आगे के लिए टालने की स्थिति में भी है। ”
अडानी समूह के बारे में अमेरिकी मंदडिया कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की प्रतिकूल रिपोर्ट से शेयर बाजार में अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में उथल-पुथल के बीच मूडीज द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है, “अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड के लिए मूडी की रेटिंग उनके विनियमित बुनियादी ढाँचे के कारोबार के दीर्घावधि बिक्री अनुबंधों या उनके मजबूत परिचालन नकदी प्रवाह और बाजार में उनकी प्रभावकारी स्थिति से जुड़ी है। ”मूडीज ने कहा है कि अडानी समूह की कंपनियों का बाजार भाव तेजी से टूटने के बाद “हमारा तत्काल ध्यान मुख्य रूप से समूह की उन कंपनियों की समग्र वित्तीय शक्ति का आकलन करने पर है, जिनकी वित्तीय साख की वह रेटिंग करती है। इसमें उनकी तरलता की स्थिति और कर्ज चुकाने के लिए वित्तपोषण तथा कारोबार में विस्तार की इस समय चल रही पहलों के लिए धन की सुविधा का आकलन शामिल है। ”
मूडीज ने कहा है, “ जो भी है, इन प्रतिकूल घटनाओं से अगले 1-2 वर्षों में पहले से तय पूंजीगत व्यय के कार्यों और परिपक्व हो रहे कर्जों के लिए कर्ज जुटाने की समूह की क्षमता कम होने के आसार हैं। ”मूडीज ने हालांकि यह भी कहा है कि अडानी समूह चाहता तो पूंजीगत व्यय को टाल भी सकता है। बयान में कहा गया है, “ हम मानते हैं कि पूंजीगत व्यय टाले जा सकते हैं तथा जिन कंपनियों की हम साख निर्धारित करते हैं, उनमें कोई बांड वित्त वर्ष 2024-25 से पहले परिपक्व नहीं हो रहा है। ”अडानी समूह के बारे में इसी तरह की रिपोर्ट आज फिच रेटिंग ने भी जारी की है।उल्लेखनीय है कि प्रतिभूतियों की शार्ट सेलिंग करने वाली फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जरवरी को अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर वित्तीय रिपोर्ट में हेराफेरी और धन घुमा कर शेयर बाजार को प्रभावित करने का आरोप लगाया है।
समूह की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती शेयर निर्गम (एफपीओ) से ठीक पहले इस रिपोर्ट के चलते समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। संस्थागत और गैर संस्थागत निवेशकों को समर्थन से एफपीओ कामयाब रहा, लेकिन अडानी एंटरप्राइजेज के बोर्ड ने समूह के शेयरों में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर एफपीओ को वापस ले लिया है।अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का 413 पृष्ठ का जवाब जारी किया, जिसमें उसकी रिपोर्ट को निहित स्वार्थ से प्रेरित और भारतीय प्रतिभूति बाजार संबंधी कानूनों के तहत आपराधिक कृत्य बताया है।अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी ने कहा है कि समूह की कंपनियों का कारोबार ठोस है और उनका नकदी प्रवाह स्वस्थ है और समूह कोई देनदारी पूरा करने में कभी पीछे नहीं हटा है।(वार्ता)