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राज्यसभा को लोकतंत्र को अस्थिर करने का मंच नहीं बनने दिया जाएगा: धनखड़

फाईल फोटो

नयी दिल्ली : राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि संसद के उच्च सदन को लोकतंत्र को अस्थिर करने का मंंच नहीं बनने दिया जाएगा।श्री धनखड़ ने राज्य सभा के 265वें सत्र के समापन पर कहा कि वह हर सदस्य का बहुत सम्मान करते हैं और किसी के साथ कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए हमारा संकल्प है कि राज्य सभा के पवित्र परिसर को लोकतंत्र को अस्थिर करने की जमीन नहीं बनने दिया जाएगा, यह सभी सदस्यों द्वारा व्यक्त किया गया है, स्वागत योग्य है।

”श्री धनखड़ ने सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और भारतीय जनता पार्टी के घनश्याम तिवाड़ी के प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि भोजनावकाश के पश्चात सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित की गई। श्री खड़गे और श्री तिवाड़ी की उपस्थिति में पूरा मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया था। उन्होंने कहा, “ मैंने स्पष्ट रूप से यह विचार मन में रखा कि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल कर दिया गया है और अब इस पर और अधिक विचार करने की आवश्यकता नहीं है।” उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे पर फिर बहिर्गमन किया है, जो परेशान करने वाला है।

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सभापति ने इन सदस्यों से आत्मचिंतन करने, राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य के बारे में सोचने, संविधान के तहत अपनी शपथ पर विचार करने तथा आगामी सत्रों में रचनात्मक तरीके से जोरदार भागीदारी के लिए तैयार होने की अपील की है।उन्होंने कहा कि श्री तिवाड़ी के साथ इस मुद्दे पर अलग से कोई चर्चा नहीं की गयी है।उन्होंने कहा कि कर्तव्य का पालन किसी भी व्यक्तिगत चोट या भावनाओं से ऊपर है। सदन में कुछ मुद्दों पर, राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर, दलीय हितों से ऊपर उठकर, द्विदलीय होकर, देश और दुनिया को यह संदेश दें कि यह देश लोकतंत्र की जननी है और सबसे पुराना तथा सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

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सभापति ने कहा, “मैं सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए काम करना जारी रखूंगा, ताकि उन्हें अवसर मिले, वे अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा सकें और अपनी ऊर्जा, विशेषज्ञता और अनुभव का उपयोग भारत के कल्याण के लिए व्यापक जन सेवा में कर सकें।” उन्होंने कहा कि सदन से बहिर्गमन करने वाले सदस्य उच्च सदन, सदन की गौरवशाली परंपरा को ध्यान में रखते हुए तथा सदन के सदस्यों से लोगों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्र के विकास के लिए किस प्रकार कार्य करना चाहिए, इस पर गहन आत्मचिंतन करें तथा अपने भीतर आत्मंथन करें।

राज्यसभा के सभापति के अपमान पर माफी मांगें विपक्ष: चौहान

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ का अपमान करने के लिए विपक्ष को माफी मांगनी चाहिए।श्री चौहान ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि ये सदन केवल ईंट और गारे का भवन नहीं है बल्कि ये लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है। उन्होंने कहा कि ये सिद्ध हो गया है कि गैर जिम्मेदार विपक्ष देश को अराजकता में झोंकने का प्रयास कर रहा है।उन्होंने कहा, “हम लोग उत्तर के लिए आते हैं। तो केवल प्रश्नकर्ता का जवाब नहीं देते हैं, हम जवाब जनता के लिए भी देते हैं, लेकिन आज प्रश्नकाल में जो व्यवहार किया है, सचमुच में इसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता।

”श्री चौहान ने कहा कि इसके लिए विपक्ष को माफी माँगनी चाहिए। विपक्ष ने सारे सदन और देश को शर्मसार किया है।केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मैं, छह बार लोकसभा और छह बार विधानसभा का सदस्य रहा हूँ। मैं या तो विधानसभा में या तो लोकसभा में आया हूँ, लेकिन अपने जीवन में मैंने विपक्ष का ऐसा अमर्यादित, अशोभनीय व्यवहार कभी नहीं देखा है।आज मन व्यथित है, वेदना से भरा हुआ है। ये केवल आसंदी का अपमान नहीं है, ये देश के लोकतान्त्रिक मूल्यों का अपमान है। ये लोकतंत्र का अपमान है, ये संविधान का अपमान है।” (वार्ता)

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