सरकार रक्षा उद्योग को सशक्त और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध : राजनाथ
नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा उद्योग को सशक्त बनाने और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।श्री सिंह ने शुक्रवार को यहां सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सातवें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष से सबक लेकर रक्षा उद्योग के क्षेत्र में मजबूत आधार बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में एक मजबूत, नवोन्मेषी और आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की दिशा में प्रयासों को नए सिरे से बढ़ावा देगी। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया, जिसमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों का निर्माण, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) जारी करना, आयुध फैक्टरी बोर्ड का निगमीकरण, डीआरडीओ द्वारा निजी उद्योगों की मदद और अनावरण शामिल हैं।श्री सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार के प्रयासों के कारण, देश में व्यापार करने में आसानी के लिए अनुकूल माहौल बनाया गया है।
उन्होंने वित्तीय वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर ले जाने में निजी क्षेत्र के प्रमुख योगदान की सराहना की।रक्षा मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में वार्षिक रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पहुंच गया जिसें सरकारी उपक्रमों की हिस्सेदारी एक लाख करोड़ रुपये थी, वहीं निजी कंपनियों ने लगभग 27,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया। उन्होंने कहा कि निजी उद्योगों की हिस्सेदारी बढ़ाने की बहुत बड़ी गुंजाइश है और अगला लक्ष्य कुल रक्षा उत्पादन में उनकी भागीदारी को कम से कम आधे तक लाना होना चाहिए। उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने में सरकार के पूर्ण समर्थन का वादा किया।
विदेशी कंपनियों और मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) को भारत में निवेश करने या निजी उद्योग के साथ संयुक्त उद्यम खोलने के लिए प्रोत्साहित करने के सरकार दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उन्होंने एसआईडीएम से फर्म-टू-फर्म आधार पर सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया।श्री सिंह ने उद्योग जगत से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), साइबर रक्षा और स्वायत्त प्रणालियों जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में अधिक निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा , “भारत के रक्षा उद्योग को वैश्विक रुझानों के साथ तालमेल बनाए रखना चाहिए और उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एआई और स्वायत्त प्रणाली जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है, जो युद्ध के भविष्य को परिभाषित करेगा। सरकार सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है, ।
”रक्षा मंत्री नेरक्षा विनिर्माण में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए एसआईडीएम चैंपियन पुरस्कार भी प्रदान किए। उन्होंने पुरस्कारों को भारतीय निर्माताओं के समर्पण और उत्कृष्टता का प्रतिबिंब बताया, जो इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए एक बेंचमार्क के रूप में काम करेगा।इस अवसर पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, एसआईडीएम अध्यक्ष राजिंदर सिंह भाटिया और उद्योग जगत के दिग्गज उपस्थित थे। (वार्ता)