बदलते श्रम कानून और असंगठित कामगारों के मुद्दों पर जन संवाद

वाराणसी असंगठित कामगार अधिकार मंच, वाराणसी (AKAM) द्वारा दिनांक 7 दिसंबर 2019 को देर रात्रि, विश्व बेघर दिवस के अवसर पर वाराणसी में, बेघर समस्या से निपटने के मुद्दों एवं मज़दूरों के बदलते श्रम कानून पर एक जन सभा का आयोजन सर्व सेवा संघ परिसर, राजघाट वाराणसी में किया गया। जिसमे मुख्य वक्ताओं में, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता संजीव सिंह, डॉ आनंद प्रकाश तिवारी, डॉ मोहम्मद आरिफ, संजय राय सहित शहरी मुद्दों पर कार्यरत सामुदायिक संगठन जैसे नाविक, बुनकर, पटरी दुकानदार, निर्माण मज़दूर, डोम, घरेलू कामगार, ड्राइवर, लाइट वर्कर, एप्प बेस्ड वर्कर आदि ने अपनी बात को रखा।

संजय राय ने कहा की शहर में पटरी दुकानदारों को अपने रोजगार के लिए कोई स्थायी विकल्प नहीं है वैसे तो नगर निगम द्वारा वाराणसी में 9 वेंडर जोन बनाये गए है लेकिन अभी तक उन वेंडर जोन पर पटरी दुकानदारों के स्थायी रोजगार पर कोई सकारात्मक कार्य नहीं हुआ।
निर्माण मजदूरों की वर्तमान स्थिति पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा की शहर में निर्माण मजदूरों को काम न मिलने की स्थिति में उनकी रोजी रोटी पर प्रभाव पड़ने लगा है इस स्थिति में मजदूर दूसरे शहरों में पलायन करने पर मजबूर है।
सुमन शहरी गरीब के मुद्दे व बेघर समुदाय की स्थिति पर अपनी बात रखते हुए कहा की पूरे देश में कितने बेघर लोग है इसका सही आंकड़ा सरकार के पास नहीं है लेकिन भारत के सभी प्रमुख शहरों में आज भी हजारों की संख्या में लोग सड़कों के किनारे, नदी के किनारे सोने पर मजबूर है जिससे ठंढ के समय में बहुत सारे मजदूरों की ठंड लगने से मृत्यु हो जाती है जिसका आंकड़ा भी सरकार के पास नहीं है या इस आंकड़े पर वो ध्यान नहीं देते इस लिए जरुरी है की देश में बेघर समस्या को दूर किया जाय।
असंगठित कामगार अधिकार मंच वाराणसी के डॉ मोहम्मद आरिफ ने कहा की किसी भी शहर के निर्माण में निर्माण श्रमिकों का प्रमुख योगदान रहता है लेकिन वही समुदाय शहरों में बेघर है, और किसी भी मौसम में सड़क के किनारे अपना गुजर बसर करने पर मजबूर है, क्या सरकार के पास इन बेघर परिवारों को एक घर देने का कोई विकल्प नहीं है। इस गंभीर समस्या पर केंद्र व राज्य सरकार से हम यही मांग करते है की सिर्फ वाराणसी में ही नहीं बल्कि देश के सभी शहरों में ऐसे लोग जो अपने श्रम से बड़े बड़े महलों, रोड, के निर्माण में अपना श्रम देते है उनका सर्वेक्षण करा कर उन्हें आवास का लाभ दे।

वरिष्ठ सामाजिक एवं राजैतिक चिंतक संजीव सिंह ने कहा की शहरों में मजदूरों के लिए बने शेल्टर होम मनमानी खोले जाते है, शेल्टर होम में जगह न मिलने पर लोग फुटपाथ पर सोने पर मजबूर होते है। जिस शहर में हजारों की संख्या में लोग खुले आसमान के निचे सो रहे हो उस शहर को स्मार्ट सिटी बताना उनके साथ बेमानी होगी जो शहर को अपने श्रम से स्मार्ट बनाता है।

   बौद्धिक चिंतक डॉ0 आनंद तिवारी ने कहा की विकास के नाम पर गरीबों की बस्तियों को उजाड़ा जा रहा है जो की वे भी वाराणसी के निवासी है और लोकतंत्र में अपनी भागीदारी रखते है, ऐसे परिवारों को बिना पहले कही व्यवस्थित करने के, परिवार और बच्चों सहित उजाड़ देना कही से भी उचित नहीं है।  उन्होंने कहा की देश के मा0 प्रधान मंत्री जी वाराणसी से सांसद हैं और वो देश में सभी को घर देने का दावा करते है लेकिन दुर्भाग्य यह है की उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही हजारों की संख्या में बेघर प्रतिदिन फुटपात पर रात गुजारने को विवश है ।

बैठक में शहरी गरीबों के बीच कार्य कर रहे अब्दुल कादिर, सुधीर जायसवाल, अमित कुमार, प्रेमशल कुमार, डॉ नूरफात्मा, फजलुर्रहमान अंसारी शाहिद, शीलम झा, शाहीना परवीन, क़ैसर जहां, वरुण कुमार, शरदेन्दु कुमार ने भी बेघर की समस्या पर अपनी बात को रखा। समुदाय से मालती देवी, शारदा देवी, आरती, सुमन यादव, बद्लुदीन ने अपनी समस्याओं को रखा । बैठक का संचालन असंगठित कामगार अधिकार मंच के डॉ0 मोहम्मद आरिफ ने किया ।

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