रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध के मद्देनजर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करते हुए क्षमता बढ़ाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में ढांचागत सुविधाओं को तेजी से सुदृढ़ बनाने का प्रयास करना चाहिए।श्री सिंह ने शनिवार को यहां संगठन के 63 वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, “हाल के दिनों में उत्तरी सेक्टर में चीन की उपस्थिति बढ़ी है। पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण कार्य में निपुण होने के कारण वे विभिन्न स्थानों पर बहुत जल्दी पहुँचने में सफल हो जाते हैं। बीआरओ को समानांतर तरीके से काम जारी रखना चाहिए और प्रौद्योगिकी के पूर्ण उपयोग के साथ अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि सरकार अपनी ओर से इस दिशा में बीआरओ को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सभी प्रयत्न कर रही है।
रक्षा मंत्री ने देश की सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 में बीआरओ के पूंजीगत बजट को 40 प्रतिशत बढ़ाकर 3,500 करोड़ रुपये करने का उल्लेख किया और बीआरओ को न केवल बजटीय सहायता बल्कि इस दिशा में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को सरकार की व्यापक रक्षा रणनीति का प्रमुख हिस्सा बताया और कहा कि इससे देश का सुरक्षा तंत्र मजबूत बनेगा और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि लोगों की सहभागिता भी रक्षा रणनीति का अहम हिस्सा है।उन्होंने कहा “सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग जितने अधिक सशक्त होंगे, वे उन क्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर उतने ही अधिक जागरूक और चिंतित होंगे। नागरिक राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति होते हैं। इसलिए बदलते समय के साथ हम अपने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारी सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे काम करने वालों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
श्री सिंह ने पूरे देश के लिए सुरक्षा और समृद्धि के नए द्वार खोलने के लिए संगठन की सराहना करते हुए इसे केवल एक निर्माण संगठन ही नहीं, बल्कि एकता, अनुशासन, समर्पण और कर्तव्य के प्रति भक्तिभाव से काम करने का एक ज्वलंत उदाहरण बताया।राष्ट्र की प्रगति में सड़कों, पुलों और सुरंगों के महत्व को रेखांकित करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि बीआरओ द्वारा पूरी की गई परियोजनाओं ने सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों में वृद्धि की है और दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार किया है।उन्होंने कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना का विकास प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के अनुसार एक मजबूत, सुरक्षित और आत्मनिर्भर ‘नया भारत’ के निर्माण के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का सूचक है।”रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात को रेखांकित किया कि सीमावर्ती क्षेत्र विकास के नए केंद्रों के रूप में उभरे हैं और उत्तर-पूर्व जैसे क्षेत्र न केवल खुद को विकसित कर रहे हैं, बल्कि देश की सर्वांगीण प्रगति के लिए प्रवेश द्वार भी बन गए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इन क्षेत्रों का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत को दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ता है।रक्षा मंत्री ने ” 75 कैफे” और पर्यटन पोर्टल के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी बीआरओ की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहल संगठन के लगातार बढ़ते विकास के प्रतीक हैं।संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बीआरओ कर्मियों को नए उत्साह और समर्पण के साथ उत्कृष्टता के पथ पर आगे बढ़ते रहने का आह्वान किया। उन्होंने उन्हें कुछ महत्वपूर्ण सुरंग और हवाई क्षेत्र निर्माण परियोजनाओं को जल्द ही संपन्न करने के लिए प्रोत्साहित किया।इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने दिल्ली में तैनात बीआरओ कर्मियों के लिए टोडापुर में एक आवास परिसर की आधारशिला भी रखी। परिसर में कर्मियों के लिए संबद्ध 323 क्वार्टर होंगे।
श्री सिंह ने भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित दो सॉफ्टवेयर-बीआरओ संसाधन प्रबंधन प्रणाली और बीआरओ बजट प्रबंधन प्रणाली भी लॉन्च किए। ये सॉफ्टवेयर संसाधनों के वितरण और उपयोग के साथ-साथ बीआरओ के बजट को स्वचालित करेंगेइस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार और बीआरओ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कई बीआरओ कर्मियों ने कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भी भाग लिया।(वार्ता)