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कोविड रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए आयुष मंत्रालय की पहल, जारी किया प्रोटोकॉल

कोविड-19 महामारी से लोगों की जिंदगियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और इसके दूसरी लहर के प्रकोप से जनता में तनाव और चिंता काफी बढ़ गई है। इसलिए शारीरिक उपचार के साथ मनोवैज्ञानिक देखभाल के महत्व और आवश्यकता को समझते हुए, कुछ प्रमुख संस्थानों ने मिलकर कोविड-19 मरीजों को मानसिक रूप से पुनः स्वस्थ करने के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित किया है। इसी के तहत आयुष मंत्रालय ने आज वर्चुअल माध्यम से कोविड-19 मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित एक नए प्रोटोकॉल का विमोचन किया। वेबिनार में कई स्वास्थ्य कर्मियों ने भी हिस्सा लिया।

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तीन प्रमुख संस्थानों द्वारा विकसित किया गया है यह प्रोटोकॉल

यह प्रोटोकॉल तीन प्रमुख संस्थानों द्वारा विकसित किया गया है। ये तीन प्रतिष्ठित संस्थान हैं: आयुष मंत्रालय का स्वायत्त निकाय, केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन), राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (एनआईएमएचएएनएस) बेंगलुरु और स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान (एस-वीवाईएएसए)। कोविड-19 न केवल लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है बल्कि रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है। यह कोविड से रिकवर होने के बाद भी रोगी को मानसिक रूप से कमजोर बना देता है। ऐसे में ये पहल उनके पूरी तरह से रिकवर होने में काफी मददगार साबित होगी।

रोगियों में अक्सर देखे जाते हैं थकान और अनिद्रा जैसे लक्षण

रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 रोगियों के मनोवैज्ञानिक संकट को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है और इसका समाधान नहीं किया जाता। विभिन्न देशों से प्राप्त समाचारों के अनुसार, कई रोगियों को आइसोलेशन की चिंता और हालत गंभीर होने का डर लोगों को अक्सर सताता है। रोगियों में हाइपोक्सिया, थकान और अनिद्रा और अन्य कई लक्षण देखे गए हैं। योग और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों ने कोविड-19 रोगियों को ठीक करने में सहायता प्रदान की है। श्वास संबंधित सरल व्यायाम और प्राणायाम सांस संबंधी समस्याओं वाले कोविड रोगियों में एसपीओ 2 के स्तर को बढ़ाने में सहायक रहे हैं। सीसीआरवाईएन द्वारा किए गए अध्ययनों की प्रारंभिक रिपोर्ट भी यही कहती है।

यह प्रोटोकॉल स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों पर बढ़े हुए बोझ को करेगी कम

कार्यशाला में प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र के दृष्टिकोण से हमारे देश में स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों पर बढ़े हुए बोझ की समस्या का भी समाधान करने पर चर्चा की गई। दरअसल हमारे देश के कुछ हिस्सों के अस्पतालों में क्षमता से अधिक कोविड-19 मरीजों की देखभाल करनी पड़ रही है। इन परिस्थितियों में प्रत्येक रोगी पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना एक चुनौती बन गया है। यह प्रोटोकॉल कोविड-19 रोगियों के इन लक्षणों और मनोवैज्ञानिक विकृति की समस्या के समाधान करने के लिए एक सहयोगी प्रयास है। यह प्रोटोकॉल ऑनलाइन कार्यशाला के माध्यम से योग और प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग करते हुए कोविड-19 महामारी, बीमारी के चरणों, मानसिक विकृति और समस्याओं के लिए स्क्रीनिंग, समस्याओं के प्रबंधन और मनोवैज्ञानिक अलगाव के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया।

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