राष्ट्रपति ने जल शक्ति अभियान को जनांदोलन बनाने का किया आह्वान
नई दिल्ली । राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने जल संरक्षण को जनता का आंदोलन बनाने पर जोर देते हुए कहा कि स्थानीय जनता को प्रेरित करने में जिलाधिकारियों और सरपंचों को मार्गदर्शक की महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।राष्ट्रपति कोविन्द ने मंगलवार को विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार के विजेताओं को सम्मानित किया और जल शक्ति अभियान: कैच द रेन अभियान 2022 का शुभारंभ किया। यह अभियान इस साल सभी जिलों में 30 नवंबर तक चलाया जाएगा। इस बार के अभियान में स्प्रिंगशेड का विकास, जल-ग्रहण क्षेत्रों की सुरक्षा और जेंडर मेन-स्ट्रीमिंग जैसे नए पहलू भी शामिल किए गए हैं। जेंडर मेन-स्ट्रीमिंग पर जोर देने से निश्चित रूप से जल-प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका और बढ़ेगी।
उन्होंने सभी से यह संकल्प लेने का आग्रह किया कि जिस प्रकार भारत में इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, उसी प्रकार हम सभी इस अभियान को इतिहास का सबसे बड़ा जल संरक्षण अभियान बनाएंगे।राष्ट्रपति ने कहा कि यह कहना सर्वथा उपयुक्त है कि ‘जल ही जीवन है’। प्रकृति ने मानवता को जल संसाधन का वरदान दिया है। प्रकृति ने हमें विशाल नदियां प्रदान की हैं, जिनके तटों पर महान सभ्यताएं फली-फूलीं हैं। भारतीय संस्कृति में नदियों का विशेष महत्व है और मां के रूप में उनकी पूजा की जाती है। इस तरह की धार्मिक प्रथाओं ने हमें प्रकृति से जोड़े रखा। तालाबों और कुओं का निर्माण एक पुण्य कार्य माना जाता था। दुर्भाग्य से आधुनिकता और औद्योगिक अर्थव्यवस्था के आगमन के साथ हमने प्रकृति से वह जुड़ाव खो दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शहरीकरण के दबाव में तालाबों और झीलों जैसे जल स्रोत गायब हो गए हैं। इसने जल प्रबंधन को उल्टा कर दिया है। भूजल की मात्रा घट रही है और इसका स्तर भी नीचे जा रहा है। एक तरफ शहरों को दूर-दराज के इलाकों से पानी खींचना पड़ता है तो दूसरी तरफ मानसून में सड़कों पर पानी भर जाता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और कार्यकर्ता भी पिछले कुछ दशकों से जल प्रबंधन के इस विरोधाभास को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते रहे हैं। भारत में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि हमारे देश में दुनिया की आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि हमारे पास केवल 4 प्रतिशत ताजा जल संसाधन हैं। पानी की उपलब्धता अनिश्चित है और काफी हद तक वर्षा पर निर्भर करती है।
राष्ट्रीय जल पुरस्कार की सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा है जबकि राजस्थान और तमिलनाडु को क्रमशः दूसरा और तीसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ है। राष्ट्रपति ने सर्वश्रेष्ठ राज्य, सर्वश्रेष्ठ जिला, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत और सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय सहित 11 विभिन्न श्रेणियों में राज्यों, संगठनों और व्यक्तियों को 57 पुरस्कार प्रदान किए।(हि.स.)