नयी दिल्ली : देशभर में लगभग 14 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिव्यांग बच्चों की प्रति संवेदनशील बनाने की तैयारी चल रही है जिससे आरंभिक काल में ही विकलांगता को कम किया जा सके।केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को यहां दिनभर चले एक कार्यक्रम में कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिव्यांग बच्चों के प्रति और दिव्यांगता की प्रति संवेदनशील बनाने के दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिव्यांगता के प्रति संवेदनशील बनाने में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता का मंत्रालय सहयोग करता है। इसे देशभर में विकलांगता में 30 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिव्यांग बच्चों की पहचान करने और उनके प्रति संवेदनशील बनाने से देश के पास एक बड़ा अनोखा कार्यबल तैयार होगा। केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम में ‘दिव्यांग बच्चों के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल’ का लोकार्पण भी किया।
इस अवसर परकेंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई, मंत्रालय में इंदीवर पांडे और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव राजेश अग्रवाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम में देश भर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और संबंधित अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।श्रीमती ईरानी ने आंगनवाड़ी केंद्रों को और अधिक समावेशी बनाने के लिए उनमें सुधार और उन्नयन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं।
उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पहुंच का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान में तीन से छह वर्ष की आयु के 4.37 करोड़ बच्चों को हर दिन गर्म पका हुआ भोजन और तीन वर्ष की आयु के 4.5 करोड़ बच्चों को घर ले जाने के लिए राशन और आठ करोड़ से अधिक बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने पिछले चार महीनों में बच्चों के लिए 16 करोड़ से अधिक घरेलू दौरे किए गए हैं।प्रोटोकॉल पुस्तिका के अनुसार प्रथम चरण में प्रारंभिक विकलांगता लक्षणों की जांच की जाएगी। द्वितीय चरण में सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा परिवारों को सशक्त किया जायेगा। तृतीय चरण में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता संबंधित दिव्यांग बच्चों और परिवारों की मदद करेंगे तथा उन्हें विशेष स्थलों पर भेजेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिला प्रशासन को शिक्षा और पोषण की विशेष जरूरतों को पूरा करने, दिव्यांग बच्चों और उनके परिवारों के सशक्तिकरण के लिए स्वावलंबन कार्ड प्रदान करने में मार्गदर्शन किया जाएगा। इन बच्चों को पोषण ट्रैकर से भी जोड़ा जाएगा।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता समाज की मानसिकता में बदलाव के लिए जमीनी स्तर पर जागरूकता और संवेदनशीलता का नेतृत्व करेंगी।दिव्यांग बच्चे को शिक्षित करने की प्रक्रिया कई लोगों के लिए महंगी और पहुंच से बाहर रही है, लेकिन अब आंगनवाड़ी नेटवर्क के माध्यम से दिव्यांग बच्चों की देखभाल को किफायती बनाया जा रहा है।
अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में 30 प्रतिशत विकलांगताएं रोकी जा सकती हैं, यदि उन्हें जल्दी पकड़ लिया जाए। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सही उपाय और सरल खेल-आधारित शैक्षिक गतिविधियों के साथ, विकास संबंधी देरी को और अधिक गंभीर विकलांगता में विकसित होने से रोका जा सकता है।जनगणना 2011 के अनुसार भारत में 2.2 प्रतिशत लोग विकलांग हैं, जो वर्तमान जनसंख्या का लगभग तीन करोड़ है।(वार्ता)
Today, India achieves another milestone in its pursuit of holistic nutritional care with the launch of the Anganwadi Protocol for Divyang Children by @MinistryWCD.
Our Anganwadi system stands as a global frontrunner in early childhood care, impacting the lives of over 8 crore… pic.twitter.com/ztOpibTeDF
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 28, 2023