नई दिल्ली : केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि देश की पहली वाणिज्यिक खनन नीलामी की सफलता से राज्यों को कुल 6,656 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होगा। जोशी ने इस नीलामी की बोली प्रक्रिया पूरी होने के बाद आज नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा कि 19 खानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है, जो कोयला नीलामी के किसी भी हिस्से में सफलतापूर्वक नीलाम किए गए खानों की सबसे अधिक संख्या है। उन्होंने कहा, इन नीलामियों के परिणाम ऐतिहासिक हैं और स्पष्ट रूप से साबित करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्व में कोयला क्षेत्र को खोलना सही दिशा में उठाया गया एक कदम था और यह देश को कोयले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे ले जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून, 2020 को वाणिज्यिक खनन के लिए भारत में कोयला खानों की पहली नीलामी शुरू की थी।
जोशी ने कहा कि खदानों को लेकर जमकर प्रतिस्पर्धा हुई और कंपनियों ने शानदार प्रीमियम की पेशकश की। उच्चतम प्रीमियम 66.75% पर रहा जबकि औसत प्रीमियम 29% पर रहा। नीलामी के लिए रखे गए 38 खानों में से 19 खानों के लिए वित्तीय बोलियां प्राप्त हुईं और नीलामी की सफलता 50% रही। जबकि कोयले की नीलामी के पिछले 10 हिस्सों की औसत सफलता दर लगभग 30% रही, क्योंकि पिछले 10 हिस्सों के दौरान नीलामी के लिए रखे गए 116 खानों में से केवल 35 खानों की नीलामी की जा सकी। श्री जोशी ने बोली के पैटर्न पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लगभग 65% बोलीदाता रियल एस्टेट, इन्फ्रास्ट्रक्चर, फार्मा आदि जैसे `नॉन-एंड यूजर` श्रेणी से थे, जो बोली की प्रक्रिया से `एंड यूज` मानदंड को हटाने के बाद उद्योग से मिली एक सकारात्मक प्रतिक्रिया है। नीलामी में 42 कंपनियों ने भाग लिया, जिनमें से 40 निजी क्षेत्र के थे। दो सार्वजनिक उपक्रमों – नाल्को और आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम लिमिटेड ने भी नीलामी में हिस्सा लिया। जिन 19 खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई, उनमें से 11 ओपनकास्ट हैं, पांच भूमिगत खदानें हैं और बाकी के तीन भूमिगत और ओपनकास्ट खानों का मिश्रण हैं। ये खदानें पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र में फैली हुई हैं और इनकी कुल पीक रेटेड कपैसिटी (पीआरसी) 51 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है।