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भारत के जन-जन व भारत के हर मन का पर्व बने ”अमृत महोत्सव” : पीएम मोदी

देश की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आगामी ”अमृत महोत्सव” से संबंधित राष्ट्रीय समिति की सोमवार को पहली बैठक हुई। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि आखिर किस प्रकार से जब 75 साल आजादी के पूरे होंगे तो ये आयोजन भारत के हर मन, हर जन का पर्व होना चाहिए। इस आयोजन में स्वाधीनता संग्राम की भावना हो, त्याग का वो एकसास हो साथ ही साथ स्नातन भारत का गौरव हो और आधुनिक भारत की चमक भी हो। प्रधानमंत्री ने बहुत ही साफ कहा कि इन 75 साल में भारत ने क्या हासिल किया है यह वो दुनिया के समक्ष रखेगा।

असंभव को संभव करने की चाह

पीएम मोदी ने कहा, आज भारत वह सब कर रहा है, जिसकी कुछ साल पहले तक कल्पना तक नहीं होती थी। देश जब आज़ादी के 75 साल मनाएगा, तो उन लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ेगा, उन्हें प्राप्त करने के लिए मजबूत कदम उठाएगा, जो कभी असंभव लगते थे। उन्होंने कहा 75 साल का अवसर अब दूर नहीं है। हम सब इसके स्वागत में खड़े हैं। यह वर्ष जितना ऐतिहासिक है और गौरवशाली है व देश के लिए जितना महत्वपूर्ण है, देश इसे उतनी ही भव्यता और उत्साह के साथ मनाएगा।

उन्होंने कहा यह हमारा सौभाग्य है कि समय ने, देश ने इस ”अमृत महोत्सव” को साकार करने की जिम्मेदारी हम सबको दी है। मुझे खुशी है कि यह कमेटी अपने इस कर्तव्य के लिए कड़ी मेहनत के साथ जो आशा, अपेक्षाएं हैं जो सुझाव आए हैं और जो सुझाव आते रहेंगे, जन-जन तक पहुंचने का जो प्रयास है उसमें कोई कमी नहीं रखेंगे। लगातार नए-नए आइडिया, सुझाव, जनसामान्य को फिर से एक बार देश के लिए जीने के लिए आंदोलित करना, इसकी प्रेरणा अवसर बनकर कैसे उभरे वैसा मार्गदर्शन आप सबसे मिलता ही रहेगा। अभी भी हमारे कुछ माननीय सदस्यों का मार्ग दर्शन मिला है। आज एक शुरुआत है और आगे चलकर हम विस्तार से बातचीत भी करेंगे।

75 सप्ताह भी हमारे पास हैं और बाद में पूरा सालभर भी

75 सप्ताह भी हमारे पास हैं और बाद में पूरा सालभर है, इन सबको लेकर हमें आगे चलना है तब इन सुझावों की बहुत अहमियत है। आपके इन सुझावों में आपका अनुभव भी झलकता है और भारत के डायवर्स थोट से आपका कनेक्ट भी दिखता है। यहां आजादी के 75 साल को लेकर एक मोटी-मोटी रूपरेखा एक प्रेजेंटेशन हमारे सामने प्रस्तुत किया गया है। एक प्रकार से विचार प्रवाह को ही गति देने का उसका काम है। यह कोई ऐसी सूची नहीं है कि इसी को लागू करना और इसी में बंधे रहना है। प्राथमिक रूप से एक मोटा-मोटा विचार क्योंकि कहीं से शुरू करने की जरूरत होती है लेकिन जैसे-जैसे हमारी चर्चा होगी यह पूरी तरह से एक कार्यक्रम का रूप और समय निर्धारित करेगा। कौन क्या जिम्मेदारी संभालेगा और कैसे करेगा इन सबको आगे हम बारीकियों में देखेंगे। इस प्रेजेंटेशन में भी जो रूपरेखा खींची गई है उसमें भी पिछले दिनों कई अलग-अलग फोरम में जो बाते आईं हैं उन बातों को शामिल करने का एक छोटा-मोटा प्रयास भी किया गया है। प्रयास यह है कि कैसे आजादी के 75 साल का यह आयोजन भारत के जन-जन का व भारत के हर मन का पर्व बने।

स्वाधीनता संग्राम की भावना और उसके त्याग का होगा साक्षात अनुभव

प्रधानमंत्री ने कहा, आज़ादी के 75 साल का यह पर्व एक ऐसा पर्व होना चाहिए जिसमें स्वाधीनता संग्राम की भावना, उसका त्याग साक्षात अनुभव हो सके, जिसमें देश के शहीदों को श्रद्धांजलि भी हो और उनके सपनों का भारत बनाने का संकल्प भी हो, जिसमें सनातन भारत के गौरव की भी झलक हो, जिसमें आधुनिक भारत की चमक भी हो, जिसमें मनीषियों के अध्यात्म का प्रकाश भी हो, जिसमें हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और सामर्थ्य का भी दर्शन हो। यह आयोजन हमारे इन 75 वर्षों की उपलब्धियों को दुनिया के सामने रखने का और अगले 25 वर्षों के लिए हमें एक रूपरेखा और एक संकल्प भी देगा क्योंकि 2047 में जब देश आजादी की शताब्दी मनाएगा तब हम कहां होंगे और दुनिया में हमारा स्थान कहां होगा और भारत को हम कहां तक ले जाएंगे। आजादी के बीते हुए 75 साल और आजादी का जन्म हमें यह प्रेरणा देगा और एक पीठिका तैयार करेगा और उस पीठिका के आधार पर ये 75 साल का पर्व भारत की आजादी की शताब्दी के लिए, उस दिशा में मजबूती से जाने के लिए एक हमारे लिए दिशादर्शक हो, प्रेरक हो और पुरुषार्थ की भावना जगाने वाला हो।

पीएम ने कहा, हमारे यहां कहा जाता है

”’उत्सवे वीणा यस्मात् स्थापनं निष्फलं भवेत्”

अर्थात कोई भी प्रयास कोई भी संकल्प बिना उत्सव के सफल नहीं होता। एक संकल्प जब उत्सव की शक्ल लेता है तो उसमें लाखों करोड़ों के संकल्प जुड़ जाते हैं और लाखों करोड़ों की उर्जा जुड़ जाती है। हमें 130 करोड़ देशवासियों को साथ लेकर, उन्हें साथ जोड़कर आज़ादी के 75 साल का ये पर्व मनाना है। जनभागीदारी इस आयोजन की, इस उत्सव की मूल भावना है।

130 करोड़ देशवासियों की भावनाएं

पीएम मोदी ने कहा जब हम जनभागीदारी की बात करते हैं तो इसमें 130 करोड़ देशवासियों की भावनाएं भी हैं उनके विचार एवं सुझाव भी हैं और उनके सपने भी हैं। आजादी के 75 साल के इस आयोजन के लिए जो विचार आए उसको समेटने के दौरान एक खाका बना जिसे हम पांच संतम्भों में विभाजित कर सकते हैं। Freedom Struggle, Ideas at 75, Achievements at 75, Actions at 75 और Resolve at 75, हमें इन पांचों को लेकर आगे बढ़ना है। इन सभी में देश के 130 करोड़ लोगों के आइडिया, उनकी भावनाएं शामिल होनी चाहिए। स्वाधीनता संग्राम के जिन सेनानियों को हम जानते हैं उन्हें हम श्रद्धांजलि देंगे लेकिन साथ ही जिन सेनानियों के इतिहास में उतनी जगह नहीं मिली, उतनी पहचान नहीं मिली उनकी जीवनगाथा भी हमें जन-जन तक पहुंचानी है।

हमारे देश का शायद ही कोई ऐसा स्थान हो, कोई ऐसा कोना हो जहां से किसी न किसी भारत माता के बेटे-बेटी ने अपना योगदान न दिया हो, अपना बलिदान न दिया हो। उन सबके बलिदान, उनकी कहानियां भी जब देश के सामने आएंगी तो वो अपने आप में बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत होने वाला है। आज भारत वो सब कर रहा है, जिसकी कुछ साल पहले तक कल्पना नहीं होती थी। आज़ादी के 75 साल जब देश मनाएगा, तो देश उन लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ेगा, उन्हें प्राप्त करने के लिए मजबूत कदम उठाएगा, जो कभी असंभव लगते थे।

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