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बजट में भारत के विकास में प्राइवेट सेक्टर की मजबूत पार्टनरशिप पर फोकस : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट में निवेश और सार्वजिनिक उपक्रम प्रबंधन संबंधी घोषणाओं पर आधारित वेबिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा इस बार के बजट में भारत के विकास में प्राइवेट सेक्टर की मजबूत पार्टनरशिप पर फोकस है। बजट में पब्लिक प्राइवेट भागादारी के स्कोप और टारगेट स्कोप क्लेरिटी के साथ सामने रखा गया है। डिस्इनवेस्टमेंट और एसेट मोनेटाइजेशन इसका एक अहम पहूल है। जब देश में पब्लिक सेक्टर एंटर प्राइज शुरू किए गए थे तब समय अलग था और देश की जरूरतें भी अलग थी। जो नीति 50-60 साल पहले के लिए सही थी उसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है। आज जब हम ये रिफॉर्म कर रहे हैं तो हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य यही है कि पब्लिक मनी का उपयोग सही उपयोग हो। कई ऐसे पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज हैं जो लॉस मेकिंग हैं इनमें से कई को टैक्स पेयर्स के मनी द्वारा सपोर्ट करना पड़ता है। एक प्रकार से जो गरीब के हक का है एस्पीरेशन से भरे युवाओं के हक का है उन पैसों को इन एंटरप्राइज के कामों में लगाना पड़ता है और इस कारण अर्थव्यवस्था पर भी बहुत प्रकार का बोझ पड़ता है।

सरकार का फोकस लोगों के वेलफेयर और विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर ही रहना चाहिए

पीएम ने कहा सरकार का ये दायित्व है कि वो देश के एंटर प्राइज को, बिजनेस को पूरा समर्थन दें लेकिन सरकार खुद एंटरप्राइज को चलाएं, उसकी मालिक बनी रहें, आज के युग में न ये आवश्यक है और न ये संभव रहा है। इसलिए मैं कहता हूं कि “Government has no business to be in business.” सरकार का फोकस लोगों के वेलफेयर और विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर ही रहना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा सरकार की शक्ति, संसाधन, सामर्थ्य कल्याणकारी काम के लिए लगने चाहिए। वहीं सरकार जब बिजनेस करने लगती है तो बहुत तरीके से नुकसान भी होता है। निर्णय प्रक्रिया में सरकार के सामने कई बंधन होते हैं। सरकार में कॉमर्शियल निर्णय लेने का अभाव होता है। हर एक को भांति-भांति के आरोप और कोर्ट कचेहरी का भी डर रहता है और इस कारण एक सोच रहती है कि जो चल रहा है उसे चलने दो। ऐसी सोच के साथ बिजनेस नहीं हो सकता।

जब सरकार बिजनेस करने लगती है तो उसके रिसॉर्सेज का दायरा सिमट जाता

उन्होंने कहा आप भी भलि-भांति जानते हैं कि इसका एक पक्ष और ये है कि जब सरकार बिजनेस करने लगती है तो उसके रिसॉर्सेज का दायरा सिमट जाता है। सरकार से पास बेहतरीन अफसरों की कमी नहीं होती लेकिन उनकी ट्रेनिंग मूलत: शासन व्यवस्थाओं को चलाना, नीति निर्धारण नियमों का पालन कराना, जनकल्याण के कार्यों पर बल देने के उनके लिए आवश्यक नीतियों के निर्माण और इन बातों में उनकी ट्रेनिंग भी हुई होती है और इसमें उनकी महारथ भी होती है क्योंकि जीवन के लंबे अरसे तक लोगों के बीच इस प्रकार के काम करते-करते वो आगे आए हैं। ये काम इतने बड़े देश में बहुत ही महत्व का होता हैं। लेकिन जब सरकार बिजनेस करने लगती है तो उसे इन कार्यों से निकालकर, ऐसे होनहार अफसरों को निकालकर इस तरफ ले जाना पड़ता है। एक प्रकार से हम उसके टेलेंट के साथ अन्याय करते हैं। उस पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज के साथ अन्यान करते हैं। परिणामस्वरूप उस व्यक्ति का व उस प्राइवेट एंटरप्राइज का नुसान होता है। इसलिए यह एक तरह से देश को कई प्रकार से नुकसान पहुंचाता है।

सरकार का प्रयास लोगों के जीवन में सरकार के बेवजह के दखल को कम करना है

पीएम मोदी ने कहा हमारी सरकार का प्रयास लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के साथ ही लोगों के जीवन में सरकार के बेवजह के दखल को भी कम करना है। यानी जीवन में न सरकार का अभाव हो और न सरकार का प्रभाव हो। आज देश में सरकार के नियंत्रण में बहुत सारे अंडर यूटिलाइज और अनयूटिलाइड ऐसेट्स हैं। इसी सोच के साथ हमने नेशनल ऐसेट मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की घोषणा की है। ऑयल, गैस, पोर्ट, एयरपोर्ट, पावर जैसे करीब 100 ऐसेट्स को मोनीटाइज करने का लक्ष्य रखा है। इनमें 2.5 ट्रिलियन रुपए के इंवेस्टमेंट के अवसर मिलने का अनुमान है। मैं यह भू कहूंगा कि ये प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। सरकार जिस मंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है वो है ”मोनिटाइज” और ”मॉडर्नाइज”।

जब सरकार “मॉनिटाइज” करती है तो उस स्थान को देश का प्राइवेट सेक्टर भरता है

पीएम ने कहा जब सरकार “मॉनिटाइज” करती है तो उस स्थान को देश का प्राइवेट सेक्टर भरता है। प्राइवेट सेक्टर अपने साथ निवेश भी लाता है और ग्लोबल बेस प्रैक्टिसिज भी लाता है। टॉप क्वालिटी का मैन पावर लगाता है, मैनेजमैंट में बदलाव लाता है, इससे चीजें और मॉडर्नाइज होती हैं, पूरे सैक्टर में आधुनिकता आती है, सेक्टर का तेजी से विस्तार होता है और जॉब के नए अवसर भी पैदा होते हैं। ये पूरी प्रक्रिया ट्रांसपेरेंट रहे, नियमों के तहत रहे इसके लिए मोनिटर करना भी उतना ही आवश्यक है। यानी ”मोनिटाइज” और ”मॉडर्नाइज” के साथ हम पूरी अर्थव्यवस्था की एफिशियेंसी को और बढ़ा सकते हैं। सरकार के निर्णयों की वजह से जो राशि मिलेगी उसका इस्तेमाल जन कल्याण की योजनाओं में किया जा सकेगा।

हमारी सरकार ने भारत को बिजनेस के लिए एक अहम डेस्टिनेशन बनाने के लिए निरंतर रिफॉर्म्स किए

देश के हर एंटरप्राइज को एफिशिएंट बनाने के लिए ट्रांसपेरेंसी, अकाउंटीब्लिटी, रूल ऑफ लॉ, पार्लियामेंट्री ओवरसाइट और मज़बूत राजनीतिक इच्छाशक्ति आज स्पष्ट है। इस बजट में पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज के लिए जिस नई पॉलिसी की घोषणा की गई है, उसमें भी हमारा ये इरादा साफ-साफ दिखता है। बीते वर्षों में हमारी सरकार ने भारत को बिजनेस के लिए एक अहम डेस्टिनेशन बनाने के लिए निरंतर रिफॉर्म्स किए हैं। आज भारत वन मार्केट-वन टैक्स सिस्टम से युक्त है। आज भारत में कंपनियों के लिए एंट्री और एग्जिट के लिए बेहतरीन माध्यम उपलब्ध हैं।

भारत में कम्पलियंस से जुड़ी कॉम्पलैक्सिटीज को लगातार सुधारा जा रहा है

भारत में कम्पलियंस से जुड़ी कॉम्पलैक्सिटीज को लगातार सुधारा जा रहा है। लॉजिस्टिक्स को लेकर आने वाले समस्याओं को तेज़ गति से दूर किया जा रहा है। आज भारत में टैक्स सिस्टम को सिंपल किया जा रहा है, ट्रांसपेरेंसी को बल दिया जा रहा है। भारत उन देशों में है जहां टैक्सपेयर के राइट्स को कोडीफाई किया गया है। लेबर ला को भी अब सरल किया जा चुका है। एफडीआई फ्रेंडली माहौल और प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव- पीएलआई जैसे प्रोत्साहन के कारण, आज निवेशकों में भारत के प्रति उत्साह और बढ़ा है। ये बीते कुछ महीनों में हुए रिकॉर्ड एफडीआई इनफ्लो में स्पष्ट रुप से दिखता भी है। दुनिया के सबसे बड़े युवा देश की ये अपेक्षाएं सिर्फ सरकार से ही नहीं हैं, बल्कि प्राइवेट सेक्टर से भी उतनी ही हैं। ये एसपीरेशंस, बिजनेस की एक बहुत बड़ी अवसर लेकर आई हैं। आइए, हम सभी इन अवसरों का उपयोग करें।

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