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साइड इफेक्ट पर मुआवजे के पेंच में फंसा फाइजर का टीका…

नई दिल्ली । कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल से जुड़े किसी भी दावे से कानूनी सुरक्षा की मांग को लेकर अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं। सूत्रों के मुताबिक, संभवत: इस मांग के चलते कंपनी के टीके को मंजूरी मिलने में देरी हो रही है।

भारत ने अब तक किसी भी टीका कंपनी को गंभीर साइड इफेक्ट पर मुआवजा लागत से सुरक्षा नहीं दी है। लेकिन फाइजर ने ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों में यह शर्त रखी है, जहां पर पहले से उसके टीके लगाए जा रहे हैं। एक सरकारी सूत्र ने बताया फाइजर के साथ पूरी समस्या इन्डेम्निटी (क्षतिपूर्ति) बांड को लेकर है और हम इस पर दस्तखत क्यों करें?

देश में ट्रायल पर भी बातचीत अधूरी
सूत्रों के मुताबिक, यह शर्त मानने का मतलब है कि अगर किसी मरीज की मौत हो जाए, तो हम फाइजर से सवाल नहीं कर पाएंगे। अगर कोई इसे अदालत में चुनौती देगा तो हर चीज के लिए कंपनी नहीं केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। हालांकि फाइजर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मुद्दे को लेकर अभी कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है।

वहीं, दूसरे सूत्र ने जानकारी दी है कि इस शर्त को लेकर फाइजरअपना रुख नहीं बदलेगी। सूत्रों का कहना है कि फाइजर भारत में किसी भी टीके की मंजूरी के पहले स्थानीय परीक्षण के मामले पर भी सरकार से बात कर रही है। इससे पहले कंपनी ने भारत द्वारा ट्रायल पर जोड़ देने के बाद फरवरी में टीके के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए एक दिया आवेदन वापस ले लिया था।

तीसरे सूत्र ने बताया कि भारत के विदेश मंत्री इस महीने या फिर जून की शुरुआत में होने वाले अपने अमेरिकी दौरे पर फाइजर की चिंताओं और भारत को आसानी से टीके का कच्चा माल भेजने को लेकर बातचीत करेंगे। हालांकि विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर अभी कोई बयान नहीं दिया है।

अभी नहीं मांगी टीके बेचने की इजाजत 
कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर देश में तेज टीकाकरण के लिए पिछले महीने सरकार ने फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियों को टीकों को फास्ट ट्रैक अनुमति की बात कही थी। लेकिन इनमें से किसी ने भी अभी भारत के दवा नियामक से वैक्सीन बेचने की इजाजत नहीं मांगी है।

भारत से बाहर कोवैक्सीन के उत्पादन की संभावना तलाश रही सरकार
देश में कोविड-19 टीकों की कमी को पूरा करने के लिये सरकार इनके उत्पादन को बढ़ाने की संभावना तलाश रही है। इसमें स्वदेशी रूप से विकसित `कोवैक्सीन` टीके के लिये भारत से बाहर उत्पादन स्थलों की पहचान करना शामिल है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सूत्रों के अनुसार सरकार कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ चर्चा करने पर भी विचार कर रही है। साथ ही वह मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और अन्य वैक्सीन निर्माताओं के साथ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के आधार पर भारत में तीसरे पक्ष के निर्माताओं को स्वैच्छिक लाइसेंस देने के मामले पर भी चर्चा करेगी।

18 मई को हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक में कोविड-19 रोगियों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवाओं और टीकों की उपलब्धता बढ़ाने के विकल्पों पर चर्चा की गई, जिनमें स्वैच्छिक लाइसेंस, अनिवार्य लाइसेंस और पेटेंट अधिनियम, 1970 के तहत सरकारी इस्तेमाल को मंजूरी देने जैसे विकल्प शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने कोविशील्ड के निर्माता एस्ट्राजेनेका से बात कर उसे भारत में और अधिक स्वैच्छिक लाइसेंस देने के लिए प्रोत्साहित करने का भी सुझाव दिया है।

सूत्रों के मुताबिक, जहां तक फाइजर के टीके की बात है तो उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) इस मामले पर विदेश मंत्रालय, नीति आयोग, और विधि सचिव से चर्चा कर फाइजर द्वारा प्रस्तावित क्षतिपूर्ति और दायित्व समझौते के मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट तैयार करेगा। कई राज्य टीकों की कमी की शिकायत कर चुके हैं। इससे निपटने के लिये सरकार कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के उपाय कर रही है।

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