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ज्ञानवापी : व्यासजी के तहखाने में पूजा की अनुमति मिली

फाइल फोटो

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वाराणसी । ज्ञानवापी केस में बड़ा फैसला आया है। यह फैसला हिंदू पक्ष में सुनाया गया है। फैसले के मुताबिक, ज्ञानवापी तहखाने में हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिला गया है। ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा किए संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली गई थी। अदालत ने इस प्रकरण में बुधवार को अपना आदेश सुनाया। तहखाने में पूजा करने की अनुमति मिल गई है।

प्रकरण को लेकर हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी कहते ने कहा आज व्यासजी के तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया गया है और कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर आदेश का अनुपालन करने का आदेश जिला अधिकारी को दिया है।वादी के अधिवक्ताओं के मुताबिक व्यासजी के तहखाने को डीएम की सुपुर्दगी में दिया गया है। अधिवक्ताओं के अनुरोध पर कोर्ट ने नंदी के सामने की बैरिकेडिंग को खोलने की अनुमति दी है। ऐसे में अब तहखाने में 1993 के पहले के जैसे पूजा के लिए अदालत के आदेश से आने- जाने दिया जाएगा।

मंगलवार को कोर्ट में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने कहा था कि व्यासजी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है। वहां पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम से बाधित है। तहखाना वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। लिहाजा, वहां पूजा-पाठ कि अनुमति न दी जाए।(वीएनएस)

विहिप ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा-अर्चना की अनुमति पर जतायी प्रसन्नता

विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने वाराणसी जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी ढांचे के तहखाने में पूजा-अर्चना की अनुमति दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उम्मीद जतायी कि अदालत संपूर्ण प्रमाण के आधार पर काशी विश्वेश्वर को उनका मूल स्थान देने के पक्ष में निर्णय सुनाएगी।विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बुधवार को यहां कहा कि आज काशी की जिला अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिससे विश्व के सभी हिन्दुओं का हृदय आनंद से भर गया है। ज्ञानवापी ढांचे के तहखाने के दक्षिण भाग में मंदिर स्थित है। वर्ष 1993 यानी आज से 31 वर्ष पहले तक उस मंदिर में भगवान की नियमित पूजा-अर्चना होती थी।

वर्ष 1993 में वहां बाड़ लगा दी गई, हिन्दुओं का जाना आना बंद कर दिया गया और अन्यायपूर्वक हिन्दुओं को वहां उनके पूजा के अधिकार से वंचित कर दिया गया। उसको वापस शुरू करने के लिए मुकदमा दायर किया गया। कुछ समय पहले वादी की प्रार्थना पर अदालत ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को उस जगह का रिसीवर तय कर दिया और उन्हें उसकी सुरक्षा संभाल का दायित्व दिया गया किंतु, उस आदेश में पूजा अर्चना के बारे में कुछ नहीं था। अतः वादी ने दोबारा अदालत में प्रार्थना पत्र लगाया था।श्री कुमार ने कहा, “हमको बहुत प्रसन्नता है कि न्यायालय ने आज कहा कि वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट मिलकर एक पुजारी की नियुक्ति कर दें और यह पुजारी इस बात का ध्यान रखें कि वहां नियमित विधिपूर्वक पूजा अर्चना सेवा होती रहे।

यह अधिकार 31 वर्ष बाद मिला, इतना समय क्यों लगा यह सोचना होगा। पर जब मिला तब अच्छा।”उन्होंने कहा,”हम इसमें भविष्य की भी आहट देखते है और इसलिए हमें आशा है कि इस निर्णय के बाद, सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर के मुक़दमे का फैसला भी जल्दी होगा और हम प्रमाणों और तर्क के आधार पर आश्वस्त है कि यह फैसला हिन्दू समाज के पक्ष में ही आएगा। हिन्दू भगवान काशी विश्वेश्वर को उनके मूल स्थान पर पुनः स्थापित कर सकेंगे, जो सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिए होगा।”(वार्ता)

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