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वाराणसी में गंगा का जलस्तर स्थिर, तटवर्ती क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस

वाराणसी । सावन माह में गंगा की लहरें लगातार बढ़ाव के बाद रविवार को स्थिर हुईं तो तटवर्ती क्षेत्र के लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली। हालांकि अभी भी जलस्तर में बढ़ाव की संभावना बनी हुई है। सुबह आठ बजे तक गंगा का जलस्तर 66.35 मीटर दर्ज किया गया। जलस्तर बढ़ने के बाद आरती स्थल में बदलाव किया गया है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हुई है।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बीते शनिवार की सुबह 8 तक बजे गंगा का जलस्तर 66.20 मीटर रहा। गंगा की लहरें चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर के करीब पहुंच गई हैं। पहाड़ों पर हो रहे लगातार मुसलाधार बारिश से गंगा नदी उफन रही है। बढ़ते जलस्तर से गंगा घाटों का संपर्क मार्ग डूब गया हैं। मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह वाले निचले प्लेटफॉर्म के डूबने के ऊपर की सीढ़ियों पर शवदाह हो रहा है।

मणिकर्णिका घाट की बजाय हरिश्चंद्रघाट पर शवदाह के लिए प्रतीक्षा की नौबत आ गई है। प्राचीन दशाश्वमेधघाट पर स्थित शीतला मंदिर के सीढ़ियों तक लहरें पहुंच गई हैं। घाट पर फूल-माला, प्रसाद बेचने वालों ने ऊपरी सीढ़ियों पर अस्थाई दुकानें सजा ली हैं। घाट पर जल पुलिस और एनडीआरएफ के जवानों के साथ ही मल्लाह भी गंगा स्नान करने वालों को लगातार सतर्क कर रहे हैं।

जलस्तर बढ़ने के बाद आरती स्थल में बदलाव होने के बाद भी श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हुई है। सावन माह के तीसरे सोमवार की पूर्व संध्या पर कांवरियों की भीड़ भी घाट पर उमड़ रही है। राजघाट के समीप स्थित नमो घाट (खिड़कियाघाट) के प्लेटफार्म पर गंगा की लहरे पहुंच गई है। प्लेटफार्म पर बाढ़ देखने वालों की भीड़ भी जुटने लगी है। उधर, गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण वरुणा नदी भी अब उफनाने लगी है। इससे नदी के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ने लगी है।(हि.स.)

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