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पहली पुण्यतिथि पर याद किये गये पद्मभूषण पं. राजन मिश्रा

वाराणसी । शास्त्रीय गायन की दुनिया में बड़ा नाम रहे पद्मभूषण पं. राजन मिश्रा की सोमवार को पहली पुण्यतिथि है। उनके प्रशंसक और संगीत प्रेमी सोशल मीडिया के जरिये उन्हें याद कर अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। पिछले वर्ष आज के ही दिन वैश्विक महामारी कोरोना ने उन्हें निगल लिया था। शास्त्रीय गायन में छोटे भाई पद्मभूषण पं. साजन मिश्र के साथ 55 साल से लगातार जुगलबंदी कर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पं. राजन मिश्र के विशाल व्यक्तित्व को भी लोग याद कर रहे हैं।

श्री संकट मोचन संगीत समारोह में भी कला दीर्घा में उन्हें खास श्रद्धांजलि दी गई है। समारोह में पहली बार उनके छोटे भाई पद्मभूषण पं. साजन मिश्र ने जब अकेले प्रस्तुति दी तो वे काफी भावुक नजर आये। बोले मंच पर हर बार भैया की कमी खलेगी। जब मैं छह साल का था और भैया 11 साल के थे तब से हम लोग साथ गा रहे थे। सोशल मीडिया में एक संगीत प्रेमी ने लिखा है कि कुछ रिक्तताएं कभी नहीं भर पातीं।

बताते चलें कि बनारस घराने के पं. राजन मिश्रा को वर्ष 2007 में भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में पद्म भूषण पुरस्कार दिया था। पं. राजन मिश्र ने छोटे भाई पं. साजन मिश्र के साथ शास्त्रीय गायन में युगलबंदी कर जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूएसए, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश सहित कई देशों में भारतीय शास्त्रीय गायन का परचम लहराया था। उनका मानना था कि जैसे मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, वैसे ही संगीत के सात सुर ‘सारेगामापाधानी’ पशु-पक्षियों की आवाज से बनाए गए हैं।

1998 में भारत सरकार द्वारा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, 1994-1995 का गंधर्व नेशनल अवार्ड, तानसेन संगीत सम्मान भी मिला था। पंडित जी के परिवार में छोटे भाई पं. साजन मिश्र,पत्नी, पुत्री अंजु, पुत्र रितेश और रजनीश मिश्रा हैं । दोनों पुत्र भी एक साथ शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति देते हैं।(हि.स.)

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