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सरयू के कछार में लह-लहाएगी जैविक खेती,ऊसर में बहेगी उद्योग की बहार

दशकों तक पिछड़ेपन का दंश झेलने वाला गोरखपुर का दक्षिणांचल विकास की नयी गाथा लिखने को तैयार है। अब यहां सरयू (घाघरा) के कछार में जैविक खेती लह लहायेगी तो धुरियापार (सकरदेइया) का ऊसर जिसमें तिनका तक नहीं उगता है उसमें उद्योगों की बहार आएगी।

18 अगस्त को सरयू (घाघरा) नदी पर कम्हरिया घाट (गोरखपुर) पुल के लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राकृतिक खेती की संभावनाओं की चर्चा करते हुए कहा था कि प्रदेश के किसानों की आय बढ़े। वह आत्मनिर्भर बनें, इसके लिए हमें प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रसर होना होगा। अगर हम जीरो बजट वाली इस खेती में तकनीक का समावेश कर लें तो हमारी उर्वर जमीन में चार गुना पैदावार की क्षमता है। इन्हीं संभावनों के मद्देजर उन्होंने कम्हरिया घाट के आसपास के क्षेत्र को प्राकृतिक खेती का हब बनाने की घोषणा की।

बेहतर आवगमन के कारण अब बाजार की फिक्र नहीं

दरअसल सरयू के कछार में बसा पूरा इलाका पशु संपदा के लिहाज से बेहद संपन्न है। इस पूरे क्षेत्र में सब्जी की खेती भी खूब होती है। रोजमर्रा के उपयोग के कारण इनकी खपत भी है। कम्हरिया घाट पुल, प्रस्तावित चार लेन के एक अन्य पुल और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के माध्यम से इन उत्पादों को देश एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में पहुचाना आसान हो जाएगा। मालूम हो कि कम्हरिया घाट पुल के लोकार्पण के दौरान ही मुख्यमंत्री ने फोरलेन के एक और पुल निर्माण की भी घोषणा की थी।

खींचा जा चुका है औद्योगिक विकास का खाका

योगी सरकार दक्षिणांचल के औद्योगिक विकास का खाका पहले ही खींच चुकी है। धुरियापार में बनने के बाद से ही बंद पड़ी चीनी मिल के कुछ हिस्से में बायोफ्यूल प्लांट बन रहा है। इस प्लांट के लग जाने पर यहां किसान पराली व गोबर से भी पैसे कमा सकेंगे। धुरियापार के प्रस्तवित औद्योगिक गलियारे में इंडस्ट्रियल टॉउनशिप भी बसाया जाएगा। करीब 5500 एकड़ में बनने वाले इंडस्ट्रियल टॉउनशिप के लिए गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। जल्द ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनने से इस पूरे क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा।

आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने की फिक्र

देश की पंचनदियों में से एक सरयू के किनारे बसा गोरखपुर के दक्षिणांचल का यह इलाका कभी बेहद सांस्कृतिक एवं आर्थिक रूप से बेहद समृद्ध रहा। जब नदियां ही आवागमन का एक मात्र जरिया थीं, तब इसके किनारे बसे गोला, बड़हलगंज और दोहरीघाट आदि गोरखपुर के प्रमुख व्यावसायिक केंद्र थे। पर, पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण यह क्षेत्र विकास की दौड़ में पिछड़ता गया। आजादी के बाद पहली बार योगी सरकार ने इसके विकास की ओर ध्यान दिया।

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