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विपक्ष संसद में अडानी और मणिपुर का मुद्दा उठायेगा, सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार

नयी दिल्ली : संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि संसद सत्र से पहले सभी दलों के नेताओं के साथ सार्थक बातचीत हुई और सरकार हर विषय पर चर्चा कराने के लिए तैयार है लेकिन चर्चा शांतिपूर्ण ढंग से होनी चाहिए ताकि उसका लाभ भी हो।संसद के सोमवार से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पहले बुलाई गयी इस बैठक में विपक्ष ने उद्योगपति गौतम अडानी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के साथ ही मणिपुर में हिंसा, उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या और रेल दुर्घटना जैसे मुद्दों पर संसद में सबसे पहले चर्चा कराने की मांग की है।

बैठक के बाद श्री रिजिजू ने मीडिया से बातचीत में कहा , “सर्वदलीय बैठक बहुत अच्छी तरह से हुई। कुल मिलाकर 30 राजनीतिक दलों के 42 नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। सभी राजनीतिक दलों ने अच्छे सुझाव दिये हैं और चर्चा सार्थक रही।”उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं ने कुछ मांगे रखी हैं और सरकार ने सभी बिन्दुओं का संज्ञान ले लिया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के नेताओं ने जो सुझाव दिये हैं, उन्हें हम कार्य मंत्रणा समिति, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के समक्ष रखेंगे कि किस-किस विषय पर चर्चा होनी है। उन्होंने कहा कि बहुत विषय रखे गये हैं और नेताओं का मानना है कि कुछ विषयों पर चर्चा होनी चाहिए।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार का मानना है कि लोकसभा और राज्यसभा में विषयोंं पर अच्छी तरह से चर्चा होनी चाहिए। सरकार हमेशा की तरह किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है, अनुरोध केवल इतना है कि सदन अच्छी तरीके से चले। किसी भी विषय पर यदि शांतिपूर्वक चर्चा होगी तो बहुत लाभ मिलेगा।श्री रिजिजू ने कहा कि सरकार का लक्ष्य सामूहिक जवाबदेही से यह सुनिश्चित करना है कि संसद का शीतकालीन सत्र देश के हर नागरिक के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आये। उन्होंने उम्मीद जतायी कि संसद सत्र के दौरान प्रभावशाली चर्चा होगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “वक़्फ़ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट आनी बाकी है और इसे सदन में पेश किया जाना है। यदि जरूरत पड़ती है तो समय बढ़ाने के लिए अनुमति लेनी होगी।” उन्होंने कहा कि 26 तारीख को संविधान दिवस है और इस दिवस को संविधान भवन में दोनों सदनों के सदस्यों के साथ मनाया जाएगा।कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि पार्टी ने सर्वदलीय बैठक में मांग की है कि उद्योगपति गौतम अडानी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के साथ ही मणिपुर में हिंसा, उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या और रेल दुर्घटना जैसे मुद्दों पर संसद में सबसे पहले चर्चा होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पार्टी चाहती है कि श्री अडानी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप से जुड़े मुद्दे पर पहले चर्चा कराई जाए।उन्होंने कहा कि उद्योगपति पर आरोप है कि उनकी कंपनी ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अनुकूल सौदा पाने के वास्ते राजनेताओं और नौकरशाहों को कथित तौर पर 2,300 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत दी है। उनका यह भी कहना था कि यह देश के आर्थिक और सुरक्षा हितों से जुड़ा गंभीर मुद्दा है और इसको लेकर देश की संसद में गहन चर्चा होनी चाहिए।संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा जिसमें 16 विधेयकों पर चर्चा किये जाने की संभावना है।

इन विधेयकों में वक्फ संशोधन विधेयक भी है जिसको लेकर विपक्ष के नेता आरोप लगा रहे हैं कि विधेयक की जांच पड़ताल के लिए बनी जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल इससे जुड़ी बैठकों में व्यवधान पैदा कर रहे हैं,इसलिए इस विधेयक पर विचार के लिए जेपीसी को और समय दिया जाना चाहिए।बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा में सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा , संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, एल मुरूगन और विभिन्न दलों के नेता सदन ने हिस्सा लिया।

कांग्रेस ने की अडानी मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग

कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में उद्योगपति गौतम अडानी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के साथ ही मणिपुर में हिंसा, उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या, रेल दुर्घटना आदि मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने की मांग की है।बैठक के बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने पत्रकारों से कहा कि पार्टी ने सर्व दलीय बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि पार्टी चाहती है कि सोमवार से शुरु हो रहे सत्र में सबसे पहले इन सब मुद्दों को उठाया जाए और श्री अडानी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप से जुड़े मुद्दे पर पहले चर्चा कराई जाए।उन्होंने कहा कि उद्योगपति पर आरोप है उनकी कंपनी ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अनुकूल सौदा पाने के वास्ते राजनेताओं और नौकरशाहों को कथित तौर पर 2,300 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत दी है। उनका यह भी कहना था कि यह देश के आर्थिक और सुरक्षा हितों से जुड़ा गंभीर मुद्दा है और इसको लेकर देश की संसद में गहन चर्चा होनी चाहिए।

गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा जिसमें 16 विधायकों पर चर्चा किये जाने की संभावना है। इन विधेयकों में वक्फ संशोधन विधेयक भी है जिसको लेकर विपक्ष आरोप लगा रहे हैं कि विधायक की पड़ताल के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल इससे जुड़ी बैठकों मे व्यवधान की स्थिति पैदा कर रहे हैं,इसलिए इस विधेयक पर विचार के लिए जेपीसी को और समय दिया जाना चाहिए।(वार्ता)

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