चंडीगढ़ । पंजाब में लगातार हो रहे विरोध के बावजूद चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के सर्विस रूल लागू करने के लिए बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी गई। अब इसके बाद चंडीगढ़ में कार्यरत करीब 22 हजार कर्मचारी केंद्र सरकार के नियमों के अधीन आ गए हैं।गृह मंत्री अमित शाह ने 27 मार्च को चंडीगढ़ दौरे के दौरान इस संबंध में ऐलान किया था। इसके बाद पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, कांग्रेस तथा अकाली दल इसके विरोध में आ गए। शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर तथा कांग्रेस के सांसद गुरजीत औजला ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया।
इसके बावजूद केंद्र सरकार ने आज नोटिफिकेशन जारी कर दी है। प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी में सेंट्रल सिविल सर्विस रूल्स के बाद रिटायरमेंट आयु 58 से 60 वर्ष हो जाएगी। चतुर्थ श्रेणी में रिटायरमेंट आयु 60 से 62 वर्ष हो जाएगी। कालेज में काम करने वाले शिक्षकों की सेवानिवृति आयु 60 से बढ़कर 65 वर्ष हो गई है और अब कर्मचारियों का डीए बढ़ जाएगा। अभी यूटी प्रशासन को पहले पंजाब सरकार की अधिसूचना का इंतजार करना पड़ता था।
आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र सरकार की सेवा नियमावली लागू किए जाने का बुधवार को राज्यसभा में विरोध किया।श्री सिंह ने शून्यकाल के दौरान कहा कि पंजाब की कोई राजधानी नहीं है। वर्ष 1966 में राज्य पुनर्गठन कानून के तहत चंडीगढ़ में पंजाब के 60 प्रतिशत और हरियाणा के 40 प्रतिशत अधिकारियों को रहने का अधिकार दिया गया तथा उन पर पंजाब की सेवा शर्तें लागू की गयी। उन्होंने कहा कि अब वहां केंद्र सरकार की सेवा नियमावली को लागू किए जाने का प्रयास किया जा रहा है, जो पंजाब सरकार के अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ में अनुबंध पर कई कर्मचारी रखे हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने स्थायी किए जाने की घोषणा की है।
श्री सिंह ने कहा कि भारत में संघीय ढांचा है और चुनावों में राजनीतिक दलों की हार-जीत होती रहती है। उन्होंने कहा कि यदि कर्मचारियों के अधिकारों को छीना जाता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।शून्यकाल के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के सुरेंद्र सिंह नागर ने दिल्ली से उत्तर प्रदेश के कई शहरों के बीच चलाई जा रही ईएमयू रेल सेवा को फिर से बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि दो साल पहले कोरोना संकट के कारण ईएमयू रेल सेवा को बाधित कर दिया गया था, जिसके कारण दूध व्यापारियों और छोटो उद्यमियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही दैनिक यात्रियों को भी भारी परेशानी हो रही है।