भागवत कथा के छठे दिन सुनाया कृष्ण रासलीला का प्रसंग,हुआ रुक्मिणी विवाह
वाराणसी : क्रेजी लोहिया नगर (महिला समिति) द्वारा लोहिया नगर कॉलोनी, आशापुर, वाराणसी के कम्युनिटी हॉल में सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन की कथा प्रारंभ करते हुए कथा व्यास चंद्रभूषण महाराज ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है। महारास में गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।
भगवान श्रीकृष्ण – रुक्मिणी के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए। भगवान कृष्ण – रुक्मिणी विवाह में कन्यादान हेतु श्रद्धालुओं में होड़ लग गई मुख्य यजमान वीणा राय सहित अनेकों महिलाओं ने कन्यादान का संकल्प लिया।आओ मेरी साखियों मुझे मेहंदी लगादो,मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बनादो भजन पर श्रद्धालुओं ने झूम कर नृत्य किया। इस अवसर पर इस अवसर पर गायत्री सिंह,आशा जायसवाल, सरोज पांडे,ऊषा सिन्हा , रत्ना श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।