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Ola-Uber की मनमानी पर सरकार ने जड़ा ताला. अब नहीं वसूल सकेंगे ज्यादा किराया

राष्ट्रीय : ओला और उबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियां पीक आवर्स के दौरान किराए में कई गुना बढ़ोतरी कर देती हैं। मगर अब सरकार ने इन कंपनियों के मनमानी पर ताला जड़ने की तैयारी कर ली है। सरकार ने शुक्रवार को ओला और उबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर किराए बढ़ाने की एक सीमा लगा दी है। यह कंपनियां अब मूल किराए के डेढ़ गुने से अधिक किराया नहीं वसूल सकेंगी।

एग्रीगेटर्स के लिए लाइसेंस अनिवार्य
सरकार की नयी गाइडलाइंस के बाद ओला, उबर जैसे एग्रीगेटर्स के लिए लाइसेंस अनिवार्य हो गया है। केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइंस नोटिफाई की है। इसके अनुसार अब ड्राइवर को किराए की 80 प्रतिशत रकम मिलेगी। इसके बाद एग्रीगेटर 20 प्रतिशत से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकेगा। इसमें बेस किराया 3 किलोमीटर का होगा।

एग्रीगेटर बेस किराए पर 50 प्रतिशत तक की रहेगी छूट
नए नियमों के तहत एग्रीगेटर बेस किराए पर 50 प्रतिशत तक छूट दे सकता है। एग्रीगेटर मात्र 1.5 गुना सरचार्ज वसूल सकता है। ड्राइवर ट्रिप रद्द करता है तो किराए का 10 प्रतिशत देना होगा। केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी करते हुए ये स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार एग्रीगेटर्स को लाइसेंस देंगी। राज्य सरकार द्वारा जारी लाइसेंस 5 साल के लिए मिलेगा। इससे पहले एग्रीगेटर की कोई परिभाषा नहीं थी।

नयी गाइडलाइंस में कहा गया है कि राज्य सरकारें केंद्र की गाइडलाइंस को अपना सकती हैं। इतना ही नहीं सरकार लाइसेंस के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट ले सकती हैं। इसमें ये भी स्पष्ट किया गया है कि गाड़ी चलाने के लिए ड्राइवर के लिए 2 साल का अनुभव अनिवार्य होगा।

कैब ड्राइवर को मिलेगा फायदा
नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, प्रत्येक सवारी (राइड) पर लागू किराए का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा एग्रीगेटर के साथ जुड़े वाहन के चालक को मिलेगा। शेष हिस्सा एग्रीगेटर कंपनियां रख सकती हैं। मंत्रालय ने कहा कि जिन राज्यों में शहरी टैक्सी का किराया राज्य सरकार ने निर्धारित नहीं किया है, वहां किराया विनियमन के लिए 25-30 रुपये को मूल किराया माना जाएगा।

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