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प्रौद्योगिकी की ताकत के इस्तेमाल में सक्षम बनें अधिकारी: मुर्मु

प्रौद्योगिकी की ताकत के इस्तेमाल में सक्षम बनें अधिकारी: मुर्मु

The President of India, Smt Droupadi Murmu addressing the faculty and course members of 64th National Defence College Course at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on October 01, 2024.

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सैन्य और सिविल अधिकारियों के लिए प्रौद्योगिकी की ताकत के इस्तेमाल में सक्षम होना जरूरी है क्योंकि इस ताकत के बिना वे संगठन, देश और समग्र रूप से मानव जाति की भलाई के लिए कुछ नहीं कर सकते।नवाचार पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह भी एक दूसरा कारक है जो अधिकारियों को भविष्य के लिए तैयार रखेगा।श्रीमती मुर्मु ने मंगलवार को यहां 64वें राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पाठ्यक्रम के संकाय और पाठ्यक्रम सदस्यों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।

राष्ट्रपति ने कहा कि निरंतर बदल रही वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति कई तरह की चुनौतियाँ पेश कर रही हैं। हाल के दिनों में जिस तेज गति से घटनाएं सामने आई हैं, शायद एक दशक पहले इसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। उन्होंने कहा , “ सभी अधिकारियों को, चाहे वे सिविल सेवाओं से हों या रक्षा सेवाओं से, उन्हें अपने सामने आने वाली चुनौतियों और कमजोरियों के बारे में पता होना चाहिए, और उन शक्तियों के बारे में पता होना चाहिए जो ऐसी चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती हैं। एक ताकत जो उनके पास होनी चाहिए और उसके बिना वे कुछ नहीं कर सकते, वह है अपने संगठनों, देशों और समग्र रूप से मानव जाति की भलाई के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सक्षम होना। नवाचार एक अन्य कारक है जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार रखेगा।

”राष्ट्रपति ने कहा कि आज, हमारी सुरक्षा संबंधी चिंताएं क्षेत्रीय अखंडता से आगे बढ़कर राष्ट्रीय कल्याण के अन्य क्षेत्रों जैसे आर्थिक, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा मुद्दों तक भी पहुंच गयी हैं। इन चिंताओं के समाधान के लिए गहन शोध तथा समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।श्रीमती मुर्मु ने कहा कि साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं। साइबर हमलों से निपटने और उनका मुकाबला करने के लिए उच्च-स्तरीय तकनीकी हस्तक्षेप के साथ-साथ अच्छी तरह से प्रशिक्षित मानव संसाधन के साथ-साथ मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। यह उन क्षेत्रों में से एक है जहां सिविल सेवाओं और सशस्त्र बलों को ऐसे हमलों को विफल करने में सक्षम एक सुरक्षित राष्ट्रव्यापी प्रणाली बनाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास ने राष्ट्रों के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना और उपयोग करना अनिवार्य बना दिया है। शासन प्रणालियों में भारी मात्रा में डेटा और संवेदनशील जानकारी भी उपलब्ध है जिसे असुरक्षित नहीं छोड़ा जा सकता है। उन्होंने सभी से इस मुद्दे की गंभीरता को समझने और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। (वार्ता)

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