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अब दक्षिण भारत में भी लहराएगा हरियाणा का बाजरा

कृषि वैज्ञानिक नई-नई तकनीक के जरिए कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने में लगे हुए हैं। इसी के तहत पिछले 7 वर्षों में फसलों की कई नई किस्में विकसित की गई हैं। इसी क्रम में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की उन्नत किस्में अब न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य प्रदेशों में भी अपना परचम लहराएंगी। इसके लिए विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए दक्षिण भारत की तीन प्रमुख कंपनियों से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।उन्नत किस्म व तकनीक किसानों तक पहुंचे

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध किसानों तक नहीं पहुंच पाएगा, तब तक उसका कोई फायदा नहीं है। इसलिए इस तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर कर विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां से विकसित उन्नत किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए विश्वविद्यालय निरंतर प्रयासरत है।

बाजरे की HHB 299 व HHB 311 का बीज

समझौते के तहत विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की किस्मों एचएचबी 67 संशोधित, एचएचबी 299 व एचएचबी 311 का बीज तैयार कर कंपनियां किसानों तक पहुंचाएंगी ताकि किसानों को उन्नत किस्मों का विश्वसनीय बीज मिल सके और उनकी पैदावार में इजाफा हो सके।

इन कंपनियों के साथ हुआ समझौता

दक्षिण भारत की श्री साईं सद्गुरू सीड्स, हैदराबाद (तेलंगाना) के साथ बाजरे की किस्मों एचएचबी 67 संशोधित व एचएचबी 299 के समझौता ज्ञापन पर एचएयू की ओर से अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने हस्ताक्षर किए हैं जबकि कंपनी की तरफ से अंबाती संजीव रेड्डी ने हस्ताक्षर किए। इसी प्रकार बाजरे की एचएचबी 299 व एचएचबी 311 किस्मों के लिए समझौता मुरलीधर सीड् कॉरपोरेशन, कुरनूल, आंध्र प्रदेश के साथ हुआ है जिसमें कंपनी की ओर से मुरलीधर रेड्डी ने हस्ताक्षर किए हैं। इन्ही दो किस्मों के लिए तीसरी कंपनी, मैसर्ज देव एग्रीटेक, गुरूग्राम के साथ समझौता हुआ है। इससे पहले भी इन किस्मों के लिए आंध्रप्रदेश की बीज कंपनी संपूर्ण सीड्स व श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर बीज के साथ पहले समझौता हो चुका है।

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