विश्व में जलवायु परिवर्तन के चलते 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा। भारत में नवंबर अन्य वर्षों के मुकाबले अधिक गर्म होने का अनुमान है। यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस ने गुरुवार को अपनी एक रिपोर्ट में इसे दुनिया के लिए खतरे की घंटी बताया है। एजेंसी ने चेताया कि औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा।
यह दूसरा वर्ष है जब इतिहास में अक्तूबर सबसे गर्म दर्ज किया गया। कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओनटेंपो ने कहा, मैं समझता हूं कि तापमान में निरंतर वृद्धि चिंताजनक है। आंकड़े बताते हैं कि यदि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की निरंतर वृद्धि के कारण वैश्विक गर्मी नहीं होती, तो धरती पर रिकॉर्ड तोड़ तापमान का इतना लंबा क्रम देखने को नहीं मिलता।
बुओनटेंपो ने दी जानकारी
बुओनटेंपो ने कहा कि तापमान में लंबे समय तक उतार-चढ़ाव होना दुनिया के लिए एक बुरा संकेत है। पेरिस में 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विश्व नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की प्रतिबद्धता जताई थी। यूरोप, उत्तरी कनाडा में तापमान औसत से अधिक व मध्य-पश्चिमी अमेरिका में काफी अधिक पाया गया। एजेंसी
1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाला पहला वर्ष
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा, इस वर्ष के 10 माह बीतने के बाद अब यह तय है कि 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होगा। यह वर्ष वैश्विक तापमान रिकॉर्ड में एक नया मील का पत्थर है, जो आगामी जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी29 में जलवायु संबंधी लक्ष्य को पाने के लिए एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करेगा।
1.55 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना
यूरोपीय एजेंसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि 2023 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक था, इसलिए यह भी लगभग निश्चित है कि 2024 का वार्षिक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा। इसके 1.55 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है।(वीएनएस)।