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शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं, सब कुछ अलौकिक हैः प्रधानमंत्री

उज्जैन । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उज्जैन की ये ऊर्जा, ये उत्साह, अवंतिका की ये आभा, ये अद्भुतता, ये आनंद, महाकाल की ये महिमा, ये महात्म्य, महाकाल लोक में लौकिक कुछ भी नहीं है। शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है, सब कुछ अलौकिक, असाधाराण, अविस्मरणीय, अविश्वसनीय है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार शाम को उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने हर हर महादेव, जय श्री महाकाल, महाकाल महादेव, महाकाल महाप्रभु, महाकाल महारुद्र, महाकाल नमोस्तुते के जयघोष के साथ अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए महाराजाधिराज भगवान महाकालेश्वर को नमन किया। उन्होंने कहा कि उज्जैन वह नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। ये वह नगर है, जहां भगवान कृष्ण ने आकर शिक्षा ग्रहण की थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वह प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी। उज्जैन न केवल भारत का केन्द्र रहा है, बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केन्द्र रहा है। ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केन्द्र रहा है, बल्कि ये भारत की आत्मा का केन्द्र रहा है। उज्जैन के क्षण-क्षण में इतिहास सिमटा हुआ है, कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है।

उन्होंने कहा कि उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का ज्ञान और गरिमा का, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है। किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम विश्व पटल पर रहा होता है और सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सिर उठाकर खड़ा हो।

उन्होंने कहा कि जो शिव सोयं भूति विभूषणः है, अर्थात भस्म को धारण करने वाले हैं, वे सर्वाधिपः सर्वदा भी हैं। अर्थात वो अनश्वर और अविनाशी भी हैं, इसलिए जहां महाकाल है, वहां कालखंडों की सीमाएं नहीं है। महाकाल की शरण में विष में भी स्पंदन है। महाकाल के सानिध्य में अवसान से भी पुनर्जीवन है। यही हमारी सभ्यता का वो आध्यात्मिक आत्मविश्वास है, जिसके सामर्थ्य से भारत हजारों वर्षों से अमर बना हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं मानता हूं कि हमारे ज्योतिर्लिंगों का ये विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति का विकास है, भारत के ज्ञान और दर्शन का विकास है। भारत का ये सांस्कृतिक दर्शन एक बार फिर शिखर पर पहुंचकर विश्व के मार्गदर्शन के लिए तैयार हो रहा है। उज्जैन में कालचक्र के 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग, 4 महावीर, 6 विनायक, 8 भैरव, अष्ट मातृकाएं, 9 ग्रह, 10 विष्णु, 11 रूद्र, 12 आदित्य, 24 देवियां और 88 तीर्थ हैं। इन सब के केंद्र में कालाधिराज श्री महाकाल विराजमान हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने प्रतीक स्वरूप में उज्जैन में स्थापित किया था, इसलिए उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया। भव्य, अतीव भव्य श्री महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ विश्व के स्वागत के लिए तैयार हो रहा है। हमारे ज्योतिर्लिंगों का विकास भारतीय संस्कृति का विकास है। भगवान महाकाल का यह ज्योतिर्लिंग ही केवल दक्षिणमुखी है।

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न, समृद्ध व शक्तिशाली भारत का निर्माण हो रहा है और हम सौभाग्यशाली हैं कि जो इन पलों के साक्षी हैं। मनुष्य केवल भौतिकता से सुखी नहीं हो सकता अध्यात्म भी चाहिए। कुछ ऐसा भी हो कि आने वाली पीढ़ी को भारतीय सनातन सत्य संस्कृति संस्कार व जीवन मूल्यों का ज्ञान हो। वहीं से श्री महाकाल लोक की नींव पड़ी थी।(हि.स.)

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