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सूर्य अराधना का महापर्व कल से,नहाय खाय के साथ व्रत की होगी शुरुआत

चार दिवसीय पर्व का 21 को होगा समापन

वाराणसी। कोरोना काल में छठ पर्व के मद्देनजर प्रशासन ने विशेष तैयारियां की है, इधर बनारस रेल कारखाना के सूर्य सरोवर पर आने वालों को बिना कोविड टेस्ट के प्रवेश नहीं मिलेगा। इस बात की ताकीद रेल अधिकारियों ने की है। सूर्यषष्ठी का महापर्व डाला छठ की शुरुआत कल नहाए खाए के साथ होगी,चार दिवसीय व्रत के तहत कल महिलाएं नहा धोकर सात्विक भोजन ग्रहण करेंगी। अगले दिन 19 को संझवत होगा जिसमें एक प्रहर शाम को महिलाएं मीठी भात ( बखीर) या लौकी की खिचड़ी खाती हैं। पर्व का मुख्य दिन 20 को होगा जब व्रत धारण करने वाली महिलाएं सायंकाल गंगा तट, नदी, सरोवर व गांव के तालाबों पर जुटकर अस्तांचल गामी सूर्य को अर्घ्य देंगी। इस दौरान रात्रि जागरण कर भगवान की आराधना व बेदी स्थल व घाट पर दीपक भी जलाए जाएंगे। अगले दिन 21 नवंबर को प्रातः काल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का पारण होगा। यह व्रत कठिन व तपस्या पर क माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से स्त्रियां पति पुत्र व धन ऐश्वर्य से संपन्न होती है। सूर्य पूजन और गंगा स्नान ही इस व्रत का मुख्य हिस्सा है। प्राचीन युग से इस व्रत का महत्व है। बताते हैं कि डाला छठ का पर्व सर्वप्रथम द्वापर युग में महारानी कुंती ने किया था तो त्रेता युग में भगवान राम के लंका विजय के बाद अयोध्या आने पर रामराज के लिए यह व्रत माता माता सीता ने भी किया था।

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