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अग्निशमन सेवा सप्ताह 2021 : अग्निशमन सेवा कैसे बनी भारतीय सुरक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग

आज अग्निशमन सेवा सप्ताह का तीसरा दिन है। हर साल राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर अग्नि सुरक्षा और अग्नि रोकथाम को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक अग्निशमन सेवा सप्ताह मनाया जाता है। यह सप्ताह उन बहादुर पुरुषों को याद करने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने 14 अप्रैल, 1944 को तत्कालीन बॉम्बे पोर्ट के विक्टोरिया डॉक में एसएस फोर्ट स्टिकिन जहाज में लगी आग से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। उस दिन विस्फोट के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। उन वीर जांबाजों की स्मृति में हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर इस सप्ताह को मनाया जाता है। वर्ष 2021 के लिए इस सप्ताह का थीम है – “आग से होने वाला नुकसान राष्ट्रीय नुकसान है – आइए हम अग्नि सुरक्षा उपायों को अपनाएं।”

लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है मुख्य उद्देश्य

इस अभियान का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करना, कार्यस्थल में आग की रोकथाम पर ध्यान देना, अग्नि सुरक्षा उपकरणों की संचालन क्षमता की जांच करना एवं कर्मचारियों को प्रभावी ढंग से आग को नियंत्रित करने में सक्षम बनाना है। पूरे सप्ताह के दौरान लोगों के बीच अग्निशमन के विभिन्न तरीकों का प्रदर्शन किया जाता है। इन गतिविधियों में अग्निशमन और बचाव पर प्रदर्शन, प्रशिक्षण कार्यक्रम, फायर क्रू सदस्यों के लिए फायर ड्रिल और प्रतियोगिताएं, अवकाश के दौरान अग्नि सुरक्षा फिल्मों की स्क्रीनिंग आदि शामिल हैं।

गृह मंत्रालय ने 1955 में किया था स्थायी अग्नि सलाहकार परिषद (SFAC) का गठन

अनुच्छेद 243 (W) के तहत भारत के संविधान की बारहवीं अनुसूची में फायर सर्विस को एक नगर निगम कार्य के रूप में शामिल किया गया है। इस प्रकार, यह राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे अपने क्षेत्राधिकार के क्षेत्र में नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करें। 1955 में भारत में अग्निशमन सेवाओं के प्रमुखों की सिफारिश पर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रतिनिधित्व के साथ स्थायी अग्नि सलाहकार परिषद (SFAC) का गठन किया था। SFAC देश में अग्निशमन सेवाओं की समस्याओं की जांच करने के लिए समय-समय पर बैठक करता है और फायर सर्विस के मानकों को उन्नत करने के लिए उपयुक्त उपायों की सिफारिश करता है।

आग लगने की घटनाएं अब केवल बड़े शहरों तक नहीं हैं सीमित

आग लगने का खतरा अब केवल बड़े शहरों और विनिर्माण केंद्रों तक ही सीमित नहीं है। देश भर में विभिन्न साधनों के जरिए भारी मात्रा में अग्निशामक वस्तुओं के परिवहन के कारण हर रोज आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं। खतरनाक सामग्री के व्यापक उपयोग, बड़े और ऊंचे भवनों के निर्माण के साथ औद्योगिक संयंत्रों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि के कारण आग लगने की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। इसी हफ्ते मंगलवार को गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में एक शॉपिंग मॉल की दूसरी मंजिल पर भीषण आग लग गई थी। वहीं 9 अप्रैल को नागपुर के एक हॉस्पिटल में आग लगने के कारण कई लोग घायल हो गए थे। ऐसे में फायर सेफ्टी कवर हमारी सुविधा नहीं आवश्यकता बन गया है।

पिछले कुछ वर्षों में अग्निशमन सेवा की बढ़ गई हैं जिम्मेदारियां

भारत में अग्निशमन सेवा का दायित्व मुख्य रूप से आग बुझाना तथा जीवन और संपत्ति की रक्षा करना है। पिछले कुछ वर्षों में अग्निशमन सेवा की भूमिका में कुछ बदलाव आए हैं। कुछ परिवर्तन बाहरी कारणों से प्रभावित थे, जबकि अन्य के लिए स्वयं संगठन ने पहल की थी। उन्हें खतरनाक सामग्रियों से होने वाली घटनाओं, उन्नत आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों, सीमित स्थान में बचाव, खाई और पानी के नीचे होने वाले बचाव अभियानों की भी जिम्मेदारी दे दी गई है। इन सभी परिवर्तनों की वजह से इस पेशे का जोखिम और भी अधिक बढ़ गया है। यह कहा भी जाता है कि “जब विशेषज्ञ घबराते हैं, तो वे अग्निशमन विभाग को बुलाते हैं।”

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