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मानवीय मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता कभी विलुप्त नहीं होने वाली : मुर्मु

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के महत्व पर बल देते हुए कहा है कि यदि नागरिकों को अच्छी तरह जानकारी नहीं मिलेगी तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं अपना अर्थ खो देंगी।श्रीमती मुर्मु ने बुधवार को यहां एक समारोह में 19वें रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान करने के मौके पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि समाचारों के कारोबार के लिए विचारों से भरा एक संपन्न न्यूज़रूम आवश्यक है। उन्होंने समाचारों की गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एक शोध प्रभाग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की आत्मा, यानि समाचार संकलन को मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने मीडिया संगठनों से जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक संसाधन समर्पित करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि पहले, समाचार पत्र और पत्रिकाएँ गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टिंग और विश्लेषण की प्रस्तुति का प्रयास करते थे और पाठक उनकी प्रतियाँ खरीदते थे। पर्याप्त संख्या में पाठकों का मतलब विज्ञापनदाताओं के लिए एक अच्छा मंच होता था, जो लागतों में कमी लाते थे। उन्होंने बताया कि हाल के दशकों में, हालांकि, इस मॉडल के जगह पर कई हाइब्रिड मॉडल आ गए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता को पत्रकारिता की गुणवत्ता पर उनके प्रभाव से मापा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि धन-प्राप्ति के केवल सीमित स्रोत हैं, जो राज्य या कॉर्पोरेट संस्थाएँ या पाठक हो सकते हैं। पहले दो के अपने फायदे और सीमाएँ हैं, जबकि पाठक को केंद्र में रखने का तीसरा विकल्प सबसे बेहतर विकल्प है। इसकी केवल एक सीमा है और वह यह कि उस मॉडल को बनाए रखना मुश्किल होता है।

विषय वस्तु के मुद्दे पर, राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया , “ हम जल्द ही उस चरण में पहुँच जाएँगे, जहाँ दुर्भावनापूर्ण सामग्री को हटा दिया जाएगा और तथाकथित पोस्ट-ट्रुथ चलन से बाहर हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि उस लक्ष्य के लिए तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने नागरिकों को इन नुकसानों के बारे में शिक्षित करने के लिए सक्रिय अभियानों के साथ इस प्रक्रिया को तेज करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि डीप फेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोगों के खतरे हमें समाचार के इस महत्वपूर्ण पहलू के बारे में सभी नागरिकों को संवेदनशील बनाने के लिए मजबूर करते हैं। विशेष रूप से युवा पीढ़ी को समाचार रिपोर्ट या विश्लेषण के किसी भी रूप में पूर्वाग्रह और एजेंडा की पहचान करने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि एआई दुनिया में उथल-पुथल मचा रहा है, पत्रकारिता सहित कई क्षेत्रों में नए अवसरों के साथ-साथ नई चुनौतियां भी पैदा कर रहा है। मशीनों ने पहले से ही रिपोर्ट को संकलित और संपादित करना शुरू कर दिया है। हालाँकि, उनमें जो कमी है वह है सहानुभूति, जो पत्रकारों को एआई को हराने में मदद करने वाला एक तत्व होगा। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता कभी विलुप्त नहीं होने वाली है। (वार्ता)

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