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प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि से लोगों को मिलेगी यूनिवर्सल और अफोर्डेबल स्वास्थ्य सेवाएं

केंद्रीय कैबिनेट ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड के रूप में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (पीएमएसएसएन) बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसमें फाइनेंस एक्ट 2007 के सेक्शन 136बी के तहत लिए जाने वाले स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेस से प्राप्त राशि से पीएमएसएसएन बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इस फंड से तय संसाधनों की उपलब्धि के जरिये सार्वभौमिक और वहनीय स्वास्थ्य देखभाल को लोगों तक पहुंचाया जायेगा। इस राशि का इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की महत्वपूर्ण योजनाओं में किया जायेगा। इनमें आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सहित प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना शामिल होंगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में तैयारी एवं प्रतिक्रिया के लिए भी इस निधि का इस्तेमाल किया जायेगा।

इस राशि से होगी बहुत-से लोगों की मदद

स्वास्थ्य ऐसा क्षेत्र है जिसमें लगातार फंड्स की आवश्यकता बनी रहती है। इसपर ऐम्स के पूर्व निदेशक डॉ एम.सी.मिश्रा कहते हैं, “जिस तरह से पीएम केयर फंड में डोनेशन दिया गया था उसी प्रकार इसमें भी किया जाये तो ये काफी अच्छा होगा। ये एक सराहनीय कदम है। अब कई राज्यों में नए ऐम्स बन रहे हैं, इसके साथ ही बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए ‘इंद्रधनुष’ जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं। इन सभी में फंड की जरूरत पड़ती है।” वह आगे कहते हैं कि आयुष्मान भारत में भी फंड्स की जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य की वजह से हमारे भारत की एक बहुत बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे आती है। इसके कारण बहुत लोग कर्ज के नीचे दब जाते हैं, उसके लिए भी फंड की आवश्यकता पड़ती है।

इस फंड से स्वास्थ्य क्षेत्र को बूस्ट मिलेगा

स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर को मिलाकर इस निधि का निर्माण किया गया है। इसकी खासियत के बारे में हिन्दुस्तान के ब्यूरो चीफ, मदन मोहन इस निधि की खासियत के बारे में बताते हैं कि हम स्वास्थ्य पर बहुत कम खर्च करते हैं। लेकिन इसके पीछे कई कारण हैं। जब बजट आवंटित किया जाता है तो उसमें सरकार को हर क्षेत्र को देखना होता है। उसे डिफेंस सेक्टर को भी देखना होता है, ग्रामीण विकास भी देखना होता है, शिक्षा भी, स्वास्थ्य भी और अन्य बहुत सारे विभाग भी ध्यान में रखने होते हैं। हर बार जब सरकार बजट आवंटित करती है तो उसी बजट पर निर्भर रहती है और फिर उसे कईं चुनातियों का सामना करना पड़ता है। ये फंड स्वास्थ्य सेक्टर को बूस्ट करने में मदद करेगा, केवल बजट पर निर्भरता को कम करेगा और फंड के लिए एक वैकल्पिक सिस्टम को खड़ा करने में सहायता करेगा।

वह आगे कहते हैं कि कुछ साल पहले प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना शुरू की गयी थी। जिसमें 10 करोड़ लोगों को 5 लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस दिया गया था। हमें एक वैकल्पिक सिस्टम खड़ा करने की जरूरत है। हाल के वर्षों में 80 से 85 प्रतिशत जो जेब से खर्च करना होता था वो अब घटकर 55 से 60 प्रतिशत रह गया है। इसका मतलब है कि सरकारी हेल्थ सर्विसेज ग्रामीण क्षेत्रो में और शहरी क्षेत्रों में बढ़ रही हैं। लेकिन उसको और बढ़ाने की जरूरत है।

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