- डीएवी पीजी कॉलेज ने एक रिसर्च के माध्यम से धाम के कायाकल्प के बाद वाराणसी की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का किया है अध्ययन
वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पहली बार वाराणसी से चुनाव लड़ने ने आए तो उन्होंने बोला था, “मुझे न किसी न भेजा है, न मैं यहाँ आया हूँ, मुझे तो माँ गंगा ने बुलाया है”। अब माँ गंगा के यही पावन घाट और श्री काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के रूप में बाबा विश्वनाथ का नव्य-भव्य स्वरूप लोगों का पालनहार बनकर उभरा है। दरअसल, श्री काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के उद्घाटन के बाद वाराणसी की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल आया है। पर्यटन उद्योग और गंगा घाट का प्रबंधन वाराणसी की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा मजबूती दे रहा है।
वाराणसी के डीएवी पीजी कॉलेज ने एक रिसर्च के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ धाम के कायाकल्प के बाद वाराणसी की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया है। अध्ययन में मुख्यतः गंगा किनारे के व्यवसाय, हैंडीक्राफ्ट, फूल-माला, टूर ट्रैवल, स्थानीय परिवहन, होटल आदि व्यवसाय को मुख्यतः शामिल किया गया है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, श्री काशी विश्वनाथ कॉरीडोर बनने के बाद बदले परिदृश्य में इन व्यवसायों में अच्छी वृद्धि देखने को मिल रही है। उल्लेखनीय है कि केवल श्री काशी विश्वनाथ धाम में ही कॉरीडोर बनने के बाद 117271749 श्रद्धालुओं ने अब तक दर्शन किए हैं जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि काशी में पर्यटन विस्तृत रूप ले चुका है।
पर्यटन अर्थव्यवस्था में 41 प्रतिशत से अधिक का उछाल
पतित पावनी गंगा किनारे बसी काशी मात्र एक शहर ही नहीं, बल्कि एक सभ्यता है और नदियां आस्था के साथ ही आर्थिक प्रवाह का भी साधन हैं। उत्तर वाहिनी गंगा के किनारे स्थित श्री काशी विश्वनाथ धाम सदियों से सनातनियों के आस्था का केंद्र रहा है। 3,000 स्क्वायर फ़िट से 5 लाख स्क्वायर फ़िट में कॉरीडोर का रूप लेकर श्री काशी विश्वनाथ धाम जब मूलभूत सुविधाओं सहित अवस्थित हुआ तो वाराणसी के पर्यटन अर्थव्यवस्था में 41 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। केवल श्री काशी विश्वनाथ धाम में ही इस वर्ष 117271749 श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ के दिव्य दरबार में हाजिरी लगाई। जाहिर है, वाराणसी में तो इससे भी अधिक पर्यटक आए होंगे। यही कारण है कि काशी ने गोवा समेत कई अन्य शहरों को पीछे छोड़ते हुए पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है। पर्यटकों की रिकॉर्ड आमद से काशी की अर्थव्यवस्था भी सकारात्मक करवट ले रही है है। इसका असर यह हुआ है कि वाराणसी के सभी उद्योग इस बदलाव से लाभान्वित हो रहे हैं।
धाम के कायाकल्प ने खोला आय का जरिया
डीएवी पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और रिसर्च के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. सत्य देव सिंह ने बताया कि धाम के कायाकल्प के बाद सबसे ज्यादा पर्यटन उद्योग 41 प्रतिशत इनकम जेनरेट कर रहा है। वही 22.60 प्रतिशत की आय में वृद्धि करके घाट प्रबंधन दूसरे नंबर पर है। लकड़ी का खिलौना, बनारसी साड़ी, बोटिंग व अन्य सम्बंधित गतिविधियों समेत हैंडीक्राफ्ट सेक्टर की आय में भी 9.10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार साड़ी और हैंडीक्राफ्ट के सामानों में 47 प्रतिशत, रिक्शावालों की आय में 15 प्रतिशत व टेम्पो ( थ्री व्हीलर ) ड्राइवर की आय में 25 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसी प्रकार, ई रिक्शा चालक 30 प्रतिशत, होटल मालिक 65 प्रतिशत, टैक्सी मालिक और ड्राइवर 20 प्रतिशत, नाविक और नाव मालिक 80 प्रतिशत तक आय की वृद्धि के लिहाज से लाभान्वित हुए हैं। रिसर्च में स्थानीय उत्पाद के बिक्री में बढ़ोत्तरी से शत प्रतिशत लोग सहमत दिख रहे है।
काशी की बदली दशा-दिशा
रिपोर्ट के मुताबिक श्री काशी विश्वनाथ धाम के कायाकल्प के बाद रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं, इस बात पर 99.48 लोग सहमत हैं। रोजगार के उपलब्धता को लेकर भी 77.80 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं। वहीं, 13.60 प्रतिशत लोग काफी संतुष्ट हैं। धाम जाने वाले मार्ग और धाम के अंदर के इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यापक सुधार को लेकर 99.53 लोग सहमत हैं जबकि 85 .90 प्रतिशत लोग सार्वजनिक सुविधाओं में व्यापक सुधार को मान रहे हैं। ऑफ सीजन में भी पर्यटकों के रिकॉर्ड आमद से कारोबारियों की विदेशी सैलानियों पर निर्भरता ख़त्म होती जा रही है। शहर का मूलभूत ढांचा मजबूत हो तो उस शहर के अर्थव्यवस्था को रफ़्तार स्वतः मिल जाती है। पूर्व की सरकारों में उपेक्षित पड़े पूर्वांचल की योगी सरकार ने दशा और दिशा बदल दी है। देश और पूरी दुनिया से अच्छी कनेक्टिविटी की वजह से काशी की अर्थव्यस्था उड़ान भरने लगी है।