प्रह्लाद की भक्ति में बैठा मोनू पंडा, फिर निकला धधकती होलिका में से सुरक्षित
भक्त प्रहलाद के जयकारों से गूंजा फालैन गांव, 12 गांवों के महिला-पुरूष करते हैं होलिका पूजन
मथुरा । जिले के कोसीकलां के फालैन गांव में शुक्रवार की अलख सुबह धधकते हुए अंगारों की होलिका में से मोनू पंडा सुरक्षित निकल गया। जिसे देखकर वहां मौजूद लोग स्तम्भ हो गए और भक्त प्रह्लाद की कथा को जीवंत कर दिया।कोसीकलां के गांव फालैन में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गांव के मध्य में प्रह्लाद मन्दिर के समीप गांव के लोगों ने होलिका बनाई, उस होलिका की गांव के लोगों द्वारा पारम्परिक रूप से पूजा अर्चना की गयी। एक माह से तप पर बैठा मोनू पंडा शुक्रवार तड़के मंदिर में जल रही अखण्डज्योति पर हाथ रखा तो वह अखण्ड ज्योति उसे ठंडी लगने लगी, ज्योति के ठंडी होने का संकेत मिलते ही मोनू पंडा प्रह्लाद कुण्ड की तरफ दौड़ लिया और स्नान करने लगा।
पंडा की बहन से सूर्य देव को अर्क दिया, सूर्य देव को अर्क देते ही गांव के लोगों द्वारा उस विशालकाय होलिका में आग लगा दी गयी, जब अग्नि अपने रौद्र रूप में आ गई तथा पंडा की बहिन द्वारा जलती होलिका में गंगाजल छिड़कते ही भोर चार बजे मोनू पंडा भक्त प्रह्लाद का नाम लेकर होलिका के धधकते अंगारां में प्रवेश कर गया और पलभर में ही उस विशाल होलिका को पार कर गया।पंडा के होलिका में सकुशल निकलते ही मौके पर मौजूद हजारों की संख्या में देखने आये लोग भक्त प्रह्लाद के जयघोष करने लगे और पलभर में ही सारा वातावरण भक्त प्रह्लाद के जयघोषाों से गुंजायामान हो गया।पंडा के अनुसार जब वह मंदिर में भगवान भक्त प्रह्लाद का जप कर रहे थे, तभी प्रह्लाद उन पर आ गए। इसी वजह से कुंड में डुबकी लगाकर आग में कूद गए।
ब्रह्म मुहूर्त में हुआ परम्परा का निर्वहन
होलिका दहन के दिन यहां मुहूर्त के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे मोनू पंडा मंदिर से निकले और प्रह्लाद कुंड में स्नान किया। इसके बाद वह सीधे दौड़ते हुए आए और जलती होली से निकल गए। इस दौरान उनकी बहन लोटे में जल लेकर उनके अग्नि से निकलने वाले रास्ते पर डालती रहीं। मोनू पंडा जैसे ही जलती होली की अग्नि में से निकले वैसे ही पूरे गांव में भक्त प्रह्लाद के जयकारे लगने लगे।
एक महीने तक मोनू पंडा ने रखा व्रत
इस अनोखी होली की परंपरा को निभाने के लिए मोनू पंडा एक महीने तक व्रत पर बैठे। भगवान नृसिंह और भक्त प्रह्लाद मंदिर में ही मोनू पंडा एक महीने तक व्रत और तप करते हैं। मोनू मंदिर में रहकर ही पूजा करते हैं और कठिन तपस्या करते हैं। मोनू इस परंपरा का 3 साल से निर्वहन कर रहे हैं। इस चमत्कार को गांव में ही रहने वाले पंडा परिवार का कोई एक सदस्य अंजाम देता है।
12 गांव के महिला और पुरुष करते हैं यहां होली की पूजा
फालैन गांव में होने वाले होलिका दहन में आसपास के 12 गांव के लोग होली पूजते हैं। यहां फालैन के अलावा, सुपाना, विशम्भरा, नगला दस विसा, महरौली, नगला मेव, पैगांव, राजगढ़ी, भीमागढ़ी, नगला सात विसा, नगला तीन विसा और बल्लगढ़ी के लोग पूजा करने आते हैं। फालैन की होली देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। होलिका के अंगारों से जब पंडा निकलता है तो पल भर के लिए लोग अपनी आंखों-देखी पर विश्वास नहीं कर पाते।(हि.स.)