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भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में नीत नई उंचाईयों को छू रहा: मोदी

फाईल फोटो

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नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले महीने देश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सौवें राकेट लांच के साक्ष्य बने है जो केवल एक नंबर नहीं है बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नीत नई उंचाईयों को छूने के हमारे संकल्प का पता चलता है।श्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ मासिक कार्यक्रम में आज कहा कि पिछले महीने देश इसरो के सौवें राकेट लांच के साक्ष्य बने है जो केवल एक नंबर नहीं है बल्कि स्पेस विज्ञान के क्षेत्र में नीत नई उंचाईयों को छूने के हमारे संकल्प का भी पता चलता है। हमारे स्पेस जर्नी की शुरुआत बहुत ही सामान्य तरीके से हुई थी।

इसमें कदम कदम पर चुनौतियां थी लेकिन हमारे वैज्ञानिक विजय प्राप्त करते हुए आगे बढते ही गये। समय के साथ अंतरिक्ष की इस उड़ान में हमारी सफलता की सूची लंबी होती चली गई।उन्होंने कहा कि लांच व्हीकल का निर्माण हो, चंद्रयान की सफलता हो, मंगलयान हो, आदित्य एल-1 या फिर एक ही राकेट से एक ही बार में 104 सेटेलाइट को अंतरिक्ष भेजने का अभूतपूर्व मिशन हो। इसरो की सफलता का दायरा काफी बड़ा रहा है। बीते दस सालों में ही करीब 460 सेटेलाइट लांच की गई है और इसमें दूसरे देशों की भी बहुत सारी सेटेलाइट शामिल है।

मोदी ने की वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वालों का हौसला बढ़ाने की अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वालों का हौसला बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि यह हमारे लिए बहुत संतोष की बात है कि इस क्षेत्र में अब कई स्टार्ट अप भी उभरकर सामने आए हैं।श्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ मासिक कार्यक्रम में आज कहा कि क्या आप जानते हैं कि एशियाटिक लायन, हंगुल, पिग्मी हाग और शेर की पूंछ वाला मकाक में क्या समानता है , इसका जवाब है कि ये सब दुनिया में कहीं और नहीं पाए जाते हैं केवल हमारे देश में ही पाए जाते हैं। वाकई हमारे यहाँ वनस्पति और जीव-जंतुओ का एक बहुत ही जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र है और ये वन्य जीव हमारे इतिहास और संस्कृति में रचे-बसे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि कई जीव-जन्तु हमारे देवी-देवताओं की सवारी के तौर पर भी देखे जाते हैं। मध्य भारत में कई जन-जातियाँ बाघेश्वर की पूजा करती हैं। महाराष्ट्र में वाघोबा के पूजन की परंपरा रही है। भगवान अयप्पा का भी बाघ से बहुत गहरा नाता है। सुंदरवन में बोनबीबी की पूजा-अर्चना होती है जिनकी सवारी बाघ है। हमारे यहाँ कर्नाटक के हुली वेशा, तमिलनाडु के पूली और केरला के पुलिकली जैसे कई सांस्कृतिक नृत्य हैं जो प्रकृति और वन्य जीव के साथ जुड़े हुए हैं। मैं अपने आदिवासी भाई-बहनों का भी बहुत आभार करूंगा क्योंकि वो वन्य जीव संरक्षण से जुड़े कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं। कर्नाटक के बीआरटी टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी में लगातार वृद्धि हुई है। इसका बहुत श्रेय सोलिगा जनजाति को जाता है जो बाघ की पूजा करते हैं। इनके कारण इस क्षेत्र में मानवजीव संघर्ष ना के बराबर होता है। गुजरात में भी लोगों ने गिर में एशियाटिक लायन की सुरक्षा और संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उन्होंने दुनिया को दिखा दिया है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य आखिर क्या होता है।प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों के कारण ही पिछले कई वर्षों में बाघ, तेंदुए, एशियाटिक लायन, गैंडा और बारहसिंघा की आबादी तेजी से बढ़ी है और भारत में वन्य जीवों की विविधता कितनी खूबसूरत है ये भी गौर करने लायक है। एशियाटिक लायन देश के पश्चिमी हिस्से में पाए जाते हैं जबकि टाइगर का क्षेत्र है पूर्वी, मध्य और दक्षिण भारत वहीं गैंडा पूर्वोत्तर में मिलते हैं। भारत का हर हिस्सा ना केवल प्रकृति के लिए संवेदनशील है बल्कि वन्य जीव संरक्षण के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अगले महीने की शुरुआत में हम वन्य जीव संरक्षण दिवस मनाएंगे। मेरा आग्रह है कि आप वन्य जीव संरक्षण से जुड़े लोगों का हौसला जरूर बढ़ाएं। यह मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि इस क्षेत्र में अब कई स्टार्ट अप भी उभरकर सामने आए हैं।

मोदी ने परीक्षार्थियों को बिना तनाव परीक्षा देने की अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोर्ड की परीक्षा में शामिल विद्यार्थियों को शुभकामना देते हुए बिना तनाव के सकारात्मक भावना के साथ परीक्षा देने की अपील की है।श्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ मासिक कार्यक्रम में आज कहा कि यह बोर्ड परीक्षा का सत्र है। मैं अपने युवा-साथियों यानि एक्जाम वारियर्स को उनकी परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप बिना कोई तनाव लिए पूरी सकारात्मक भावना के साथ अपने पेपर दीजिए।

हर वर्ष ‘परीक्षा पे चर्चा’ में हम अपने एक्जाम वारियर्स से परीक्षाओं से जुड़े अलग-अलग विषयों पर बात करते हैं। मुझे खुशी है कि अब ये कार्यक्रम एक संस्थागत रूप लेता जा रहा है। इसमें नए-नए विशेषज्ञ भी जुड़ते चले जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि इस साल हमने एक नए फार्मेट में ‘परीक्षा पे चर्चा’ करने का प्रयास किया। विशेषज्ञों के साथ आठ अलग-अलग एपिसोड भी शामिल किए गए। हमने पूरी परीक्षा से लेकर स्वास्थ देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य के साथ खान-पान जैसे विषयों को भी शामिल किया। वहीं पिछले टापर्स ने भी अपने विचार और अनुभव सभी के साथ साझा किए।

बहुत से युवाओं, उनके अभिभावकों और शिक्षकों ने इस बारे में मुझे पत्र लिखे हैं। उन्होंने बताया है कि ये तरीका उन्हें बहुत ही अच्छा लगा है क्योंकि इसमें हर विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। इंस्टाग्राम पर भी हमारे युवा-साथियों ने इन एपिसोड को बड़ी संख्या में देखा है। आप में से बहुत सारे लोगों को इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली की सुंदर नर्सरी में किया जाना, यह भी बहुत पसंद आया। हमारे जो युवा-साथी ‘परीक्षा पे चर्चा’ के इन एपिसोड को अब तक नहीं देख पाए हैं वे इन्हें जरूर देखें। ये सारे एपिसोड नमोएप पर रखे हुए हैं। (वार्ता)

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